वन नेशन, वन इलेक्शन: लोकसभा में वोटिंग के दौरान गायब रहे BJP के 20 से ज्यादा सांसद, पार्टी ने जारी किया नोटिस
लोकसभा में मंगलवार (18 दिसंबर) को ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ बिल पेश किया गया। इस मौके पर 20 से ज्यादा बीजेपी सांसद गैरहाजिर रहे। पार्टी ने अब इन सांसदों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए नोटिस भेजा है।बता दें कि पार्टी ने वन नेशन वन इलेक्शन बिल पेश करने से पहले सभी सांसदों को संसद में मौजूद रहने के लिए कहा था। इसके लिए पार्टी की ओर से व्हिप जारी किया था। लेकिन इसके बावजूद कई सांसद बिल पर वोटिंग के दौरान संसद में मौजूद नहीं थे।
बीजेपी ने जिन सांसदों को नोटिस भेजा है, उनमें प्रमुख नाम सामने आए हैं। इनमें जगदंबिका पाल, शांतनु ठाकुर, गिरीराज सिंह, और ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे बड़े नेता शामिल हैं। यहां तक कि मंत्री भागीरथ चौधरी, जो जयपुर में पीएम के कार्यक्रम में थे, को भी नोटिस दिया गया है। यह स्पष्ट संकेत है कि पार्टी अनुशासनहीनता को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगी। पार्टी का मानना है कि ऐसे महत्वपूर्ण अवसर पर सांसदों की अनुपस्थिति किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है।
लोकसभा में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने ‘संविधान (129वां संशोधन) विधेयक 2024’ पेश किया। इस दौरान विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। बिल पर बहस के दौरान कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इसका विरोध किया। वहीं, शिवसेना और तेलुगु देशम पार्टी जैसे एनडीए सहयोगी बिल के पक्ष में मजबूती से खड़े नजर आए। डिवीजन के बाद बिल को लोकसभा में पेश किया जा सका। इसके बाद इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेज दिया गया।
‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ बिल पर लोकसभा में मतदान हुआ। इस दौरान पक्ष में 269 वोट और विपक्ष में 198 वोट पड़े। वोटिंग की प्रक्रिया में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग के बाद पर्चे से मतदान कराया गया। यह सुनिश्चित किया गया कि हर सांसद अपनी राय दर्ज कर सके। इस बिल का उद्देश्य देशभर में लोकसभा, विधानसभा और पंचायत चुनावों को एक साथ कराना है, जिससे समय और धन की बचत हो सके।
‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ का विचार सितंबर 2022 में शुरू हुआ था, जब पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई। इस समिति ने मार्च 2024 में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। रिपोर्ट में पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने और खर्च कम करने के सुझाव दिए गए। सितंबर 2024 में मोदी कैबिनेट ने इस रिपोर्ट को मंजूरी दी। इसके बाद सरकार ने इसे संसद में पेश करने का फैसला लिया।