तिरुपति लड्डू विवाद: स्वतंत्र SIT करेगी मिलावटी घी मामले की जांच, सुप्रीम कोर्ट का आदेश

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तिरुपति लड्डू विवाद में आज सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया। अदालत ने कहा कि मिलावटी घी मामले की जांच स्वतंत्र एसआईटी (SIT) करेगी। एसआईटी में सीबीआई, आंध्र प्रदेश पुलिस के 2-2 अधिकारी और एफएसएसएआई (FSSAI) के एक्सपर्ट होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि SIT जांच की निगरानी सीबीआई (CBI) के निदेशक करेंगे। शीर्ष अदालत ने कहा कि प्रसाद में मिलावट के आरोपों से दुनिया भर के भक्तों की आस्था को ठेस पहुंची है।

पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि लड्डू बनाने में दूषित घी का इस्तेमाल किया गया था, इसके क्या सबूत हैं? अदालत ने कहा कि जब सरकार ने जांच के लिए एसआईटी (SIT) का गठन किया है तो उसके किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले मुख्यमंत्री को प्रेस में बयान देने की क्या जरूरत थी? अदालत ने कहा कि मिलावटी घी के मामले में एसआईटी को जांच करनी चाहिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि इस रिपोर्ट को देखकर लगता है कि कथित मिलावट वाला घी लड्डू प्रसाद में इस्तेमाल ही नहीं हुआ था।
पिछली सुनवाई के दौरान जस्टिस गवई ने पूछा, जिस लड्डू का अलग स्वाद का था, क्या उसे यह पता करने के लिए एनडीडीबी (NDDB) को भेजा गया था कि क्या उसमें मिलावटी सामग्री थी? हमें इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि मिलावटी घी के मामले में एसआईटी को जांच करनी चाहिए। सीएम चंद्रबाबू नायडू ने जो बयान दिया उस पर जिससे सीधे लोगों की धार्मिक आस्था पर असर पड़ा है। हमारा मानना है कि भगवान को राजनीति से दूर रखना चाहिए।
जस्टिस गवई ने पूछा कि जो घी मानकों के अनुसार नहीं पाया गया, क्या उसे प्रसाद के लिए इस्तेमाल किया गया? अदालत ने कहा कि आप कह सकते हैं कि टेंडर गलत तरीके से आवंटित किए गए हैं। लेकिन यह कहना कि यह घी इस्तेमाल किया गया है, उसका सबूत कहां है? इस मिलावटी घी का उपयोग किस सामग्री में प्रसाद के लिए किया गया था? प्रथम दृष्टया, इस स्तर पर ऐसा कुछ भी नहीं है जो यह दर्शाता हो कि नमूने में इस्तेमाल किया गया घी लड्डू बनाने के लिए इस्तेमाल किया गया था।
राज्य सरकार की तरफ से वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि घी के जांच में खामियां मिली थी। जिसके बाद राज्य सरकार ने SIT का गठन किया है। मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस गवई ने टिप्पणी करते हुए कहा कि भगवान को राजनीति से दूर रखें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जांच लंबित रहने तक, ऐसे संवैधानिक पदाधिकारियों द्वारा दिए गए बयान से एसआईटी पर क्या असर होगा? अगर शिकायतें थीं, तो आपको हर टैंकर से नमूने लेने चाहिए थे।

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