अगर आपके अंदर मंजिल को पाने का हौसला है तो चाहें आपके सामने लाख परेशानियां आएं आप मुकाम तक पहुंचने में जरूर सफल होंगे. आज हम बात कर रहे हैं गरीबी को पास से देखने वाली उत्तराखंड की बेटी की. योग नगरी ऋषिकेश की रहने वाली नमामि बंसल के पिता बर्तन बेचने का कार्य करते थे. घर की स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी कि काफी वक्त तक परीक्षा की तैयारी का खर्चा उठाया जा सके. लेकिन उस बेटी ने भी ठान लिया था कि वह परिवार पर बोझ नहीं आने देगी. नमामि ने इस कदर मेहनत की कि उसने यूपीएससी एग्जाम क्रैक ही नहीं किया बल्कि परीक्षा में शानदार अंक भी हासिल किए.
नमामि बंसल के पिता की ऋषिकेश में बर्तन की दुकान है. दुकान से केवल उतनी ही कमाई हो पाती थी कि घर का गुजारा हो सके. नमामि शुरुआत से पढ़ाई में तेज थीं दसवीं क्लास की बात करें उन्हें 92 फीसदी अंक मिले थे. जबकि 12वीं क्लास की परीक्षा में भी उन्होंने 95 फीसदी अंक हासिल किए थे. स्कूली की पढ़ाई पूरी हो जाने के बाद नमामि ऋषिकेश से दिल्ली आ गईं और यहां लेडी श्रीराम कॉलेज में दाखिला लिया. उन्होंने इस कॉलेज से इकोनॉमिक्स ऑनर्स की पढ़ाई की.
खुद से की तैयारी
ग्रेजुएशन की पढ़ाई होने के बाद उन्होंने जॉब की. नौकरी करते करते ही उन्हें ध्यान आया की उनका लक्ष्य कुछ बड़ा करने का है. बस फिर क्या था उनका यूपीएससी के लिए सफर शुरू हो गया. जिसके बाद उन्होंने परीक्षा में बैठने का ठाना हालांकि घर की स्थिति को देखते हुए उन्होंने फैसला लिया कि वह कोचिंग ज्वाइन नहीं करेंगी. इसलिए उन्होंने खुद से नोट्स तैयार करने शुरू कर दिए और परीक्षा की तैयारी में जुट गईं.
मिली 17वीं रैंक
नमामि आईएएस बनना चाहती थीं. उनके पहले प्रयास में उन्हें असफलता मिली, जिससे उनका मनोबल कमजोर हुआ. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी तैयारी जारी रखी. उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी तैयारी जारी रखी. लेकिन दूसरे प्रयास में भी किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया और वे एक बार फिर असफल हो गईं. लगातार तीन साल तक असफलता का सिलसिला जारी रहा. लेकिन फिर एक समय बाद वो दिन आया जब यूपीएससी का रिजल्ट आया और नमामि बंसल ने एग्जाम में 17वीं रैंक लाकर परिवार का नाम रोशन कर दिया.