पोखरण में तोपों, टैंकों और लड़ाकू जहाजों की ललकार….PM की मौजूदगी में जमकर हुआ ‘भारत शक्ति’ युद्धाभ्‍यास

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भारत को सामरिक दृष्टि से आत्मनिर्भर बनाने की मोदी सरकार की मुहीम बडी तेजी से आगे बढ रही है. सेना के तीनों अंगों में बड़ी तादाद में शामिल किए जा रहे हथियार स्वदेशी हैं और इन्हीं स्वदेशी हथियारों की मारक क्षमता और ताकत को देखने खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पोखरण फायरिंग रेंज पहुंचे. 50 मिनट तक पोखरण के मैदान में इतना बारूद बरसाया गया कि उसकी धमक पाकिस्तान को जरूर महसूस हो रही होगी. सेना के तीनों अंगों के स्वदेशी हथियार ताबड़तोड़ गोलीबारी की. इसमें LCA तेजस, LCH प्रचंड, ALH ध्रुव , पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट लॉंचर , T 90, अर्जुन टैंक, K 9 वज्र , धनुष, सारंग तोपों ने तो मानो रेगिस्तान में इतनी रेत उड़ा दी की कुछ भी दिखाई देना मुश्किल हो गया.

 

युद्धाभ्‍यास की शुरुआत में तीनों सेना के अंगों के स्पेशल फोर्स, गरुढ कमॉडों और मार्कोज हैलिकॉप्टर के जरिए स्लीदर और ऑल टेरेन वेहिकल के जरिये युद्ध के मैदान पर पहुँचे और देखते ही देखते दुश्मन के इलाके में पोज़ीशन ले ही. माहौल तो तब बना जब मल्टी बैरल रॉकेट लॉंचर ग्रैड की पूरी बैटरी ने लॉंचर ट्यूब ख़ाली कर दी. वैसे तो ग्रेड भारतीय प्लेटफ़ॉर्म नहीं है लेकिन जो एम्यूनेशन फ़ायर किया गया वो स्वदेशी था इसके तुरंत बाद स्वदेशी मल्टी बैरल रॉकेट लॉंचर पिनाका की पूरी एक बैटरी के 6 लॉंचर ने एक के बाद एक धूएँ की लकीरें आसमान पर खींच दी.

 

बीएमपी , T-90 और अर्जुन ने तो रेत के टीले पर एक लाइन से खड़े होकर इतनी फायरिंग की कि सामने सिर्फ धूआँ ही धूआँ दिखाई देने लगा. प्रधानमंत्री ने आपने संबोधन में भारतीय सेना के स्वदेशी ताक़त की जमकर तारीफ की. इस सैन्य अभ्यास में लॉयटरिंग म्यूनिशन सहित सर्वत्र और अत्याधुनिक ड्रोन और यूएवी सहित रोबोटिक म्युल भी युद्ध क्षेत्र में अपनी ताकत का परिचय दिया.

 

इस एक्सरसाइज के जरिए दिखाया गया कि कैसे युद्ध की स्थिति में भारतीय सेना के तीनों अंगों थलसेना , वायुसेना और नौसेना मिलकर काम करती है और कितनी तेजी से सेनाओं के बीच कॉर्डिनेशन होता है. सेना के तीनों अंगो को मिलाकर इंटीग्रेटेड थिएटर कमांड बनाने की तैयारी भी चल रही है। हालांकि इसका फाइनल स्वरूप तय होना बाकी है. ऐसे में तीनों सेनाओं का किस तरह से इंटीग्रेशन होता है और अलग-अलग लोकेशन पर होने के बाद भी कैसे तेजी से कम्युनिकेशन होता है, यह सब ‘भारत शक्ति’ एक्सरसाइज में दिखाई देगा. पिछले कुछ सालों में आत्मनिर्भरता के तहत रक्षा मंत्रालय पॉजिटिव इंडिनाइजेशन की पांच लिस्ट जारी कर चुका है. यानी उन रक्षा उपकरणों की लिस्ट जिनकी खरीद विदेशों से नहीं बल्कि स्वदेशी कंपनियो से की जाएगी.

इसके अलावा ये भी तय किया गया कि रक्षा खरीद के लिए सभी कैटेगरी में कम से कम 50 पर्सेंट स्वदेशी कंटेंट होना चाहिए, जिसमें मटीरियल, कंपोनेंट, सॉफ्टवेयर शामिल हो सकता है, ये भारत में ही बने होने चाहिए. ये पूरा अभ्यास भारतीय सेना के स्वदेशी हथियारों की जौहर दुनिया को दिखाने का था, जो देश पहले सबसे बड़ा बाज़ार समझा जाता था अब वो दुनिया के बाज़ार में अपने हथियारों को बेचने के लिए तैयार है.

 

 

 

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