हरियाणा में क‍िसानों को क्‍यों रोका जा रहा है? हाईकोर्ट ने क‍िसान आंदोलन को लेकर क्‍यों पूछा यह सवाल

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पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में हुई किसानों आंदोलन के मामले को लेकर सुनवाई के दौरान क‍िसानों को हरियाणा की तरफ से रोके गए रास्ते पर भी कोर्ट में चर्चा हुई. पंजाब एंड हाईकोर्ट की तरफ से कहा गया है कि किसानों को धरना प्रदर्शन करने के लिए एक जगह सुनिश्चित करके देनी होगी. वहीं दूसरी तरफ अब 15 तारीख को इस मामले में दोबारा सुनवाई होगी, जिसमें चंडीगढ़, पंजाब, हरियाणा और केंद्र सरकार की तरफ से स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है. इतना ही नहीं हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को भी पार्टी बनाने के लिए कहा है.

हाईकोर्ट की तरफ से यह भी पूछा गया कि जब किसान दिल्ली धरना देने के लिए जा रहे हैं, तो उनको हरियाणा की तरफ से क्यों रोका जा रहा है? वहीं केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए सतपाल जैन ने कोर्ट में कहा कि केंद्र सरकार लगातार बातचीत के लिए तैयार है. दूसरी तरफ पंजाब की तरफ से पक्ष रखा गया कि किस शांतिपूर्वक आगे बढ़ रहे हैं तो हरियाणा ने रास्ते रोकने पर तर्क दिया कि अमन कानून की स्थिति को देखते हुए इंतेजामत किए गए हैं.

द‍िल्‍ली-एनसीआर में भारी जाम
वहीं मंगलवार को दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में कई स्थानों पर यातायात कछुए की गति से रेंगता रहा, क्योंकि पुलिस ने शहर में किसानों के मार्च को विफल करने के लिए सिंघू और टिकरी सीमाओं पर बैरिकेड्स की कई परतें लगा दीं और वाहनों की आवाजाही रोक दी और यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा. कई प्रमुख सड़कों तक पहुंच को नियंत्रित करने के लिए धातु और कंक्रीट के बैरिकेड लगाए गए हैं. पुलिस की भारी सुरक्षा व्यवस्था के कारण गाजीपुर सीमा क्षेत्र में भी यातायात की भारी भीड़ देखने को म‍िली. नोएडा और दिल्ली को जोड़ने वाले प्रमुख हिस्से के आधे हिस्से पर बैरिकेड्स लगाए जाने के कारण एक समय में केवल दो वाहनों को गुजरने की इजाजत थी.

जाम में फंसे लोग
घंटों तक गाजीपुर बॉर्डर पर फंसे रहने के कारण असहाय और हताश महसूस करते हुए उत्तराखंड निवासी अरुण सिंह ने कहा कि वह दिल्ली के लोक नायक अस्पताल में अपने बीमार पिता से मिलने जा रहे थे. उन्होंने कहा क‍ि मैं अपने 78 वर्षीय पिता से मिलने के लिए उत्तराखंड से यात्रा कर रहा हूं. मैं और मेरा परिवार यहां सुबह 11 बजे से फंसे हुए हैं. यह हमारे लिए बेहद निराशाजनक स्थिति है और हम क्रोधित और असहाय महसूस कर रहे हैं. न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून की मांग कर रहे किसान अपनी मांगों को लेकर केंद्रीय मंत्रियों की एक टीम के साथ बैठक बेनतीजा रहने के बाद दिल्ली की ओर मार्च कर रहे हैं. संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने कहा कि किसान अपनी मांगों को स्वीकार करने के लिए केंद्र पर दबाव बनाने के लिए दिल्ली जाएंगे.

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