1992 हरजीत सिंह पुलिस मुठभेड़: जालसाजी, आरोपी धरम सिंह, गुरदेव सिंह और सरिंदर सिंह को सजा 14 को

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चंडीगढ़, 9 सितंबर, 1992 हरजीत सिंह पुलिस मुठभेड़, फर्जी ठेके के आरोपी धरम सिंह, गुरदेव सिंह और सरिंदर सिंह की सजा पर फैसला 14 सितंबर

तीन पुलिस अधिकारी दोषी करार वर्ष 1992 के दौरान हरजीत सिंह नाम के युवक की हत्या के मामले में मोहाली की सीबीआई कोर्ट ने तीन पुलिसकर्मियों को दोषी करार दिया है। कोर्ट ने पुलिस द्वारा दिखाए गए एनकाउंटर मामले को फर्जी करार दिया, धर्म सिंह, पूर्व पुलिस प्रमुख, गुरदेव. पूर्व डीएसपी सिंह और सरिंदर सिंह ने फैसले के लिए 14 सितंबर की तारीख तय की है. आदेश के बाद धर्म सिंह और गुरदेव सिंह को हिरासत में ले लिया गया, जबकि सुरिंदर सिंह को पैर के ऑपरेशन के कारण हलफनामा देकर पेशी से छूट मिल गई. कोर्ट ने उन्हें सजा के दिन पेश होने का आदेश दिया है.

इस मामले में सीबीआई ने 9 पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आरोप पत्र पेश करते हुए 54 गवाहों का हवाला दिया. मामले के दौरान केवल 27 गवाहों के बयान दर्ज किए जा सके, बाकी गवाहों और 5 पुलिस अधिकारियों की 31 साल लंबे मामले के दौरान मौत हो गई। इस मामले में शिकायतकर्ता/पीड़ितों की ओर से सरबजीत सिंह वेरका, जगजीत सिंह बाजवा और पीएस नट एडवोकेट के साथ सीबीआई के लोक अभियोजक अशोक बागोरिया पेश हुए।

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