आबकारी नीति मामले में मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज, कोर्ट बोला- आरोप बेहद गंभीर

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Manish Sisodia: दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को दिल्ली हाईकोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है. आबकारी नीति मामले में सीबीआई की ओर से दर्ज केस में हाईकोर्ट ने मनीष सिसोदिया की ज़मानत याचिका खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा कि मनीष सिसोदिया के खिलाफ आरोप गम्भीर है और ज़मानत मिलने की सूरत में गवाहों को प्रभावित करने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता.

 

कोर्ट ने आदेश में क्या कहा

 

जस्टिस दिनेश कुमार ने आदेश पढ़ते हुए कहा कि कि आरोप बेहद गम्भीर है.आरोप है कि साउथ लॉबी के कहने पर आबकारी नीति में मनमाफिक बदलाव किए गए ताकि ग़ैरवाजिब फायदा उठाया जा सके. हालांकि अभी हम सरकारी नीति पर कोई टिप्पणी नहीं कर रहे पर मनीष सिसोदिया प्रभावशाली व्यक्ति है. उपमुख्यमंत्री पद पर रहने के साथ साथ कई महत्वपूर्ण विभाग उनके पास रहे है.

 

इस केस में ज़्यादातर गवाह सरकारी अधिकारी है. लिहाजा ज़मानत मिलने पर उनके द्वारा गवाहों को प्रभावित करने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता.

 

CBI और ED की ओर से दर्ज केस में आरोपी

 

मनीष सिसोदिया इन दिनों सीबीआई और ईडी की ओर से दर्ज केस में न्यायिक हिरासत में है. 31 मार्च को सीबीआई की ओर से दर्ज केस में स्पेशल जज ने उनकी ज़मानत याचिका खारिज कर दी थी. 28 अप्रैल को ED की ओर से दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग केस में उनकी ज़मानत अर्जी निचली अदालत ने खारिज कर दी थी. निचली अदालत के इन दोनों आदेश को सिसोदिया ने दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी है. अभी ED की ओर से दर्ज केस में उनकी ज़मानत अर्जी दिल्ली हाई कोर्ट में पेंडिंग है.

 

दिल्ली HC में सिसोदिया की दलील

 

दिल्ली हाईकोर्ट में ज़मानत याचिका पर सुनवाई के दौरान मनीष सिसोदिया की ओर से पेश वकील ने कहा था कि इस केस में मनी ट्रेल को साबित करने के लिए कोई सबूत जांच एजेंसी के पास नहीं है. जांच पूरी हो चुकी है, चार्जशीट दाखिल हो चुकी है, उनके ट्रायल से भागने की कोई संभावना नहीं है, इस केस में सहआरोपियों को भी ज़मानत मिल चुकी है. लिहाजा अब न्यायिक हिरासत में रखने का कोई औचित्य नहीं है.

 

 

CBI ने ज़मानत अर्जी का विरोध किया था

 

सीबीआई ने मनीष सिसोदिया की ज़मानत अर्जी का विरोध किया था. सीबीआई का कहना था कि मनीष सिसोदिया आबकारी घोटाले की साजिश के सूत्रधार और सरगना है. इस मामले में जिस तरह की गहरी साजिश है, सिसोदिया ही उस साजिश के पर्दाफाश का जरिया है. इस घोटाले में उनकी भूमिका की तुलना उन दूसरे सह आरोपियों से नहीं की जा सकती ,जो उनके मातहत काम कर रहे थे.

 

सीबीआई का कहना था कि मनीष सिसोदिया का अधिकारियों, नौकरशाहो से गहरा गठजोड़ है. उसका रूतबा साफ जाहिर है. अहम डॉक्यूमेंट और गवाहो से उसका सामना कराया जा चुका है, लिहाजा जांच की दिशा से वो बखूबी वाकिफ़ है. ऐसे में ज़मानत मिलने पर सबूतों के साथ छेड़छाड़ और गवाहों को प्रभावित कर सकते है.

 

 

 

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