20 साल में भी 448 फ्लैटों के लोग नहीं बन पाए मालिक मोहाली

मोहाली, 18 जुलाई,
सेक्टर 68 स्थित पंचम कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी में रहने वाले 448 फ्लैट मालिक पिछले 20 साल से अपने फ्लैट का मालिकाना हक पाने के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं। सरकार को नुकसान इसलिए भी है क्योंकि अगर गमाडा अधिकारी थोड़ी सी भी तत्परता दिखाएं तो सरकार के खजाने में 15-20 करोड़ रुपये आ सकते हैं, जो अधिकारियों की लापरवाही के कारण लटके हुए हैं। इसके बाद 448 फ्लैट्स की बिक्री- खरीद शुरू करने से सरकार को स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन से करोड़ों रुपये मिलेंगे, लेकिन सोसायटी की फाइल गमाडा में ही इधर-उधर घूम रही है। दरअसल, साल 2000 में सोसायटी के संस्थापकों ने इस सोसायटी की मूल जमीन की पूरी कीमत गमाडा के पास जमा नहीं कराई और सोसायटी के सदस्यों ने इसे बीच में ही छोड़ दिया।
जबकि यहां जिन लोगों को फ्लैट बेचे गए उनसे पूरी रकम वसूली गई जिसके बाद 2015 में गमाडा ने सोसायटी की जमीन को रिज्यूम कर लिया। लेकिन सोसायटी के 226 सदस्य इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट चले गए. हाई कोर्ट ने मामले पर रोक लगाते हुए जांच के आदेश दिए और कहा कि यह पता लगाया जाए कि सोसायटी के सदस्यों ने जमीन के लिए पैसे दिए हैं या नहीं. जांच में पता चला कि फ्लैट मालिकों ने जमीन की सारी बकाया रकम जमा कर दी है इसके बाद कोर्ट ने आदेश दिया कि सोसायटी को खाली कराने की कोई कार्रवाई न की जाए. इसके बाद सरकार ने गमाडा को निर्देश दिया कि वह सभी फ्लैट मालिकों से एक निश्चित रकम लेकर रजिस्ट्री कराए। लेकिन आज तक 448 फ्लैट मालिकों को उनके फ्लैट का मालिकाना हक नहीं मिल सका.सोसायटी के अध्यक्ष और क्षेत्रीय पार्षद विनीत मलिक ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा है
कि इस सोसायटी के सदस्यों मालिकाना हक देने की पूरी नीति भी तैयार कर अनुमोदित कर दी गई है। अब गमाडा को ही फ्लैट मालिकों से पैसे लेकर उनकी रजिस्ट्री करानी है। लेकिन गमाडा के अधिकारियों ने उसे फांसी पर लटका दिया है। ब्याज लगातार बढ़ रहा है।पहले से ही ब्याज मूल राशि से दोगुना है। अब यदि और देरी होती है तो मामले में देरी करने वाले अधिकारियों के वेतन से बढ़े हुए ब्याज की भरपाई की जानी चाहिए।