देखो, आहिस्ता चलो!

देखो, आहिस्ता चलो, और भी आहिस्ता ज़रा,

देखना, सोच-सँभल कर ज़रा पाँव रखना,

ज़ोर से बज न उठे पैरों की आवाज़ कहीं.

काँच के ख़्वाब हैं बिखरे हुए तन्हाई में,

ख़्वाब टूटे न कोई, जाग न जाये देखो,

जाग जायेगा कोई ख़्वाब तो मर जाएगा.

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