हरियाणा के गुमनाम शहीदों की याद दिला गया दास्तान-ए-रोहनात

-राजकीय स्नातकोत्तर महिला महाविद्यालय सेक्टर-14 के ऑडिटोरियम में कलाकारों ने जीवंत की रोहनात गांव की जंग
-अतिरिक्त उपायुक्त ने दीप प्रज्ज्वलन कर किया नाटक का शुभारंभ
पंचकूला– आजादी के अमृत महोत्सव की श्रृंखला के तहत आज राजकीय स्नातकोत्तर महिला महाविद्यालय सेक्टर-14 के आॅडिटोरियम में सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग व जिला प्रशासन की ओर से ‘दास्तान ए रोहनात’ नाटक का मंचन किया गया। अतिरिक्त उपायुक्त श्रीमती वर्षा खांगवाल ने दीप प्रज्ज्वलन के साथ इस ऐतिहासिक नाटक मंचन की विधिवत शुरुआत की।
निर्देशक मनीष जोशी के निर्देशन में हुए नाटक को एक घंटे से भी ज्यादा समय तक दर्शकों ने एकाग्रता से साथ देखा। दर्शकों को भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का एक गौरवमयी अध्याय हरियाणा के रोहनात गांव की ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ विद्रोह की कहानी दास्तान-ए-रोहनात में देखने को मिली। इसके माध्यम से हरियाणा के 1857 के गुमनाम योद्धाओं की कहानी का मंचन किया गया। इस कहानी में रोहनात गांव की अंग्रेजों की क्रूरता व बर्बरता को दर्शाया गया और दिखाया गया कि किस प्रकार रोहनात के लोगों ने अंग्रेजी हुकूमत की खिलाफत की।
आजादी के संग्राम में भुलाया नहीं जा सकता रोहनात गांव का बलिदान व योगदान-एडीसी
श्रीमती वर्षा खांगवाल ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि आजादी के संग्राम में गांव रोहनात के बलिदान व योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। ऐसे नाटकों की प्रस्तुति से ही युवा पीढ़ी को देश की आजादी के संग्राम में वीरों द्वारा दिये गये बलिदान के बारे जानकारी मिलती है। उन्होंने कहा कि हमें देश की आजादी के इतिहास को जीवंत रखने की आवश्यकता है। देश के वीर जवान आज अपने परिवारों से दूर हमारे देश की सीमाओं की दिन रात रक्षा कर रहे ताकि हम सब अपने घरों में चैन की नींद सो सके। देश के ज्ञात-अज्ञात वीर बलिदानियों की बदौलत ही आज हम आजादी की खुली फिजा में सांस ले पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारे देश की आजादी की लड़ाई में हरियाणा का बड़ा योगदान रहा है, जिस पर प्रत्येक हरियाणावासी को गर्व है। इस आजादी के लिए हमारे बुर्जुगों ने कठिन परिस्थितियों में अपना जीवन गुजारा और अत्याचारों के खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठाई। न जाने कितने युवाओं सहित महिलाओं और छोटे-छोटे बच्चों ने भी देश के लिए अपनी जान दे दी।
कलाकारों ने नाटक के माध्यम से दी भावुक कर देने वाली प्रस्तुति-
नाटक गांव रोहनात के गुमनाम नायकों पर आधारित था, जिन्होंने आजादी के लिए कड़ा संघर्ष किया, लेकिन इतिहास के पन्नों में उनकी गौरव गाथा को वह स्थान नहीं मिल पाया जिसके वे हकदार थे। ऐसे ही गुमनाम नायकों नोन्दा जाट, बिरड़ा दास व रूप राम खाती और रोहनात गांव के लोगों के आजादी के लिए कड़े संघर्ष को इस नाटक के माध्यम से प्रस्तुत किया गया था। 1857 की रोहनात गांव की क्रांति के साथ-साथ अंग्रेजों की कूटनीतिक चालों, डिवाइड एंड रूल पॉलिसी, अंग्रेजों द्वारा किए गए अत्याचार सहित कई अन्य महत्वपूर्ण तथ्यों को प्रस्तुत किया गया था। नाटक में दिखाया गया कि किस प्रकार अंग्रेजों के अत्याचार के चलते वहां के गांव का कुआं जलियांवाला बाग की तरह ग्रामीणों की लाशों से भर गया था।
कलाकारों ने दी बेहतरीन डायलॉग डिलीवरी-
नाटक को जिस प्रकार से लिखा गया था उसके एक-एक शब्द में क्रांति का भाव था और जिस प्रकार से कलाकारों द्वारा डायलॉग डिलीवरी (संवाद प्रस्तुति) की गई वह वाकई रोंगटे खड़े कर देने वाली थी। विशेषकर बिरड़ा दास, नोंदा जाट व रूप राम खाती, जिनका किरदार क्रमश- अतुल लांगया, यश राज शर्मा व कबीर दहिया द्वारा निभाया गया था, को लोगों द्वारा खूब सराहा गया। इसी प्रकार, ब्रिटिश ऑफिसर बने कामेश्वर ने हिंदी भाषा में जिस प्रकार अंग्रेजी टोन पकड़ते हुए डायलॉग डिलीवरी की वह काबिले तारीफ रही। नरसंहार की इस अनकही-अनसुनी कहानी ने काॅलेज के ऑडिटोरियम को देशभक्ति के रंग में रंग दिया। नाटक का निर्देशन मनीष जोशी व लेखन यशराज शर्मा का रहा।
इस अवसर पर राजकीय स्नातकोत्तर महिला महाविद्यालय की प्रिंसीपल श्रीमती डाॅ रिचा सेतिया और उप प्रधानाचार्य श्रीमती रितु यादव भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम के सफल आयोजन में श्री अतुल खुल्लर और श्री रंजीत सिंह का विशेष योगदान रहा। मंच संचालन श्री प्रदीप राठौर ने किया।