हरियाणा: एक सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल को 50 से अधिक छात्राओं से छेड़छाड़ के आरोप में गिरफ्तार किया गया

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हरियाणा: बोले पंजाब ब्यूरो: जींद के एक सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल को 50 से ज्यादा छात्राओं से छेड़छाड़ के आरोप में गिरफ्तार किया गया है, वहीं पुलिस की कई टीमें भी जांच कर रही हैं. मामले में नई एसआईटी का गठन किया गया है.

 

इस मामले में चौंकाने वाले तथ्य भी सामने आए हैं कि आरोपी प्रिंसिपल ने 2008 में अपनी पहली पोस्टिंग के दौरान नाबालिग छात्राओं से छेड़छाड़ की थी. लेकिन उस वक्त भी शिकायत देने के बावजूद आरोपी प्रिंसिपल के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई. ग्रामीणों के बढ़ते दबाव के बीच मामला महज स्थानांतरण तक ही सीमित रह गया. ऐसे में अब शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर उंगलियां उठने लगी हैं. उधर, बाल संरक्षण समिति जींद समेत कई एजेंसियों की टीम पीड़ित छात्राओं की काउंसलिंग कर रही है। आयोग जिला जींद प्रशासन से प्राप्त रिपोर्ट का अध्ययन करेगा।

 

सीडब्ल्यूसी जींद के अधिकारी ने बताया कि बच्चों की काउंसलिंग के लिए विशेषज्ञों की सेवाएं ली जा रही हैं। हमारा मानना है कि इस मामले में पीड़ित छात्राओं के अभिभावकों को काउंसलिंग की जरूरत है. शुरुआती जांच के दौरान जहां करीब 60 छात्राओं ने आरोपी प्रिंसिपल के खिलाफ अपने बयान दर्ज कराए थे, वहीं अब छात्राएं इस मामले में खुलकर सामने आने से बच रही हैं.

 

आयोग समझ सकता है कि माता-पिता नहीं चाहते कि उनकी बेटी ऐसे किसी कानूनी विवाद में फंसे. लेकिन दोषियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए और परिवार वालों को आगे आकर सहयोग करना चाहिए. अब तक 60 में से केवल 5 छात्राओं ने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट के सामने अपना बयान दर्ज कराया है।

 

उचाना के सरकारी स्कूल में 60 छात्राओं से छेड़छाड़ करने वाले प्रिंसिपल के बारे में बड़ा खुलासा यह है कि उसने 2008 में दूसरे स्कूल में अपनी पहली पोस्टिंग के दौरान भी एक छात्रा से छेड़छाड़ की थी। फिर उन्हें स्कूल का मुख्य अध्यापक नियुक्त किया गया। यह दावा गांव के पूर्व सरपंच ने संपर्क करने पर किया। उन्होंने बताया कि इसके बाद ग्रामीणों ने पंचकुला जाकर शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों से शिकायत की, जिस पर शिक्षा विभाग की टीम ने गांव का दौरा भी किया.

 

एक बड़ी जानकारी यह भी सामने आ रही है कि पहले इस संबंध में बनी कमेटी में उचाना थाना प्रभारी भी शामिल थे लेकिन कुछ खाप और किसान संगठनों ने उन पर संदेहास्पद आरोप लगाए हैं. जिस पर सीएम स्क्वायड समेत वरिष्ठ अधिकारियों ने पुलिस अधिकारी के व्यवहार को लेकर उठी चिंताओं पर संज्ञान लेते हुए उन्हें जांच टीम से हटा दिया गया. मामला बेहद गंभीर होने के कारण सरकार और जिला प्रशासन की ओर से हर कदम सावधानी से उठाया जा रहा है.

 

हाल ही में शिक्षा निदेशालय की तीन सदस्यीय टीम ने स्कूल का दौरा किया और छात्राओं और स्टाफ सदस्यों के साथ-साथ पीड़ित लड़कियों के परिवारों से एक-एक करके विस्तृत चर्चा की। करीब 6 घंटे तक चली जांच के बाद टीम के सामने कुछ अहम बातें सामने आईं. हैरानी की बात यह है कि स्कूल का ज्यादातर स्टाफ ऐसी घटनाओं से अंजान होने का दावा कर रहा है. जिस महिला टीचर पर प्रिंसिपल का साथ देने का आरोप है, उसका यहां से ट्रांसफर कर दिया गया है. ऐसे में स्टाफ सदस्यों की भूमिका भी संदेह के घेरे में है।

 

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