हंगामे के बीच कामकाज पूरा करने में जुटी सरकार, तीन बिल पेश; डीएनए विधेयक वापस

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मानसून सत्र में मणिपुर संकट को लेकर जारी गतिरोध दूर न होता देख सरकार ने विधायी कामकाज निपटाने का सिलसिला शुरू कर दिया है। इस क्रम में सरकार ने सोमवार को लोकसभा में हंगामे और नारेबाजी के बीच तीन विधेयक पेश किए, जबकि डीएनए प्रौद्योगिकी विनियमन विधेयक वापस लिया।

सरकार ने संकेत दिया है कि अगर एक दो दिन में बीच का रास्ता नहीं निकलता को इसी सप्ताह से जरूरी विधेयकों को पारित कराने का सिलसिला भी शुरू किया जाएगा। विपक्ष के हंगामे के बीच ही सोमवार को करीब आधे घंटे तक प्रश्नकाल चला। इसके बाद सदन की कार्यवाही जब दोबारा शुरू हुई तो प्रधानमंत्री कार्यालय में मंत्री जितेंद्र सिंह ने डीएनए प्रौद्योगिकी विनियमन बिल वापस लिया। इसके बाद स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने राष्ट्रीय नर्सिंग और प्रसूती विद्या आयोग विधेयक और राष्ट्रीय दंत चिकित्सा आयोग विधेयक पेश किया, जबकि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार ने संविधान अनुसूचित जातियां आदेश संशोधन विधेयक पेश किया।

राष्ट्रीय नर्सिंग-प्रसूति विद्या आयोग (एनएनएमसी) के अस्तित्व में आने के बाद साल 1947 में अधिनियम के तहत स्थापित भारतीय नर्सिंग परिषद अधिनियम (आईएनसी) 1947 का अस्तित्व खत्म हो जाएगा। विधेयक का उद्देश्य इस क्षेत्र में पेशेवर मानकों को बनाए रखना और सभी स्तरों पर गुणवत्तापूर्ण नर्सिंग शिक्षा सुनिश्चित करना  है। एनएनएमसी चार स्वायत्त बोर्डो और राज्य आयोगों के जरिये नर्सिंग पाठ्यक्रमों के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित करेगा। संकाय से जुड़े निर्णय और नर्सिंग संस्थानों को मंजूरी देगा। नर्सों, दाइयों और नर्सिंग सहयोगियों के लिए अलग रजिस्टर भी बनाएगा।

राष्ट्रीय दंत चिकित्सा आयोग विधेयक के जरिये इस क्षेत्र के चिकित्सा व्यवसाय को विनियमित करने और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने का प्रावधान किया जाएगा। सरकार की योजना दंत चिकित्सा क्षेत्र को भी नर्सिंग शिक्षा क्षेत्र की तरह एक दायरे में लाने की है। आयोग दंत विज्ञान चिकित्सा शिक्षा व पेशे को लेकर नियम बनाएगा। यह देश में दंत विज्ञान चिकित्सा को सस्ता करने का प्रयास करेगा, गुणवत्तापूर्ण देखभाल मुहैया करवाने पर भी बल देगा। इसे भारतीय चिकित्सा परिषद की जगह बने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग की तरह देखा जा रहा है।

डीएनए विधेयक पर संसदीय पैनल ने पीड़ितों, अपराधियों, संदिग्धों, विचाराधीन कैदियों, लापता और अज्ञात व्यक्तियों की अलग-अलग श्रेणी बनाने और उसी के अनुरूप डीएनए जांच, आंखों की पुतली और अंगुलियों के निशान लेने संबंधी कई अहम सुझाव भी दिए गए थे। सरकार अब विस्तृत समीक्षा के बाद इस विधेयक को पेश करेगी।

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