सुप्रीम कोर्ट ने लखनऊ के एक जिला सेशन जज को एक मामले में सही फैसला न देने पर सजा दी है
जज सभी को सजा सुनाते हैं लेकिन अब एक जज को ही सजा सुनाई गई है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने लखनऊ के एक जिला सेशन जज को एक मामले में सही फैसला न देने पर सजा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से जिला सेशन जज की न्यायिक जिम्मेदारियां छीनने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, न्यायिक जिम्मेदारियां वापस लेते हुए जज को न्यायिक प्रशिक्षण के लिए फिर से न्यायिक अकादमी भेजा जाए। क्योंकि जज में न्यायिक ज्ञान की कुशलता कम लगती है।
बतादें कि, फैसला गलत देने के संबंध में ही सुप्रीम कोर्ट ने लखनऊ के जिला सेशन जज के साथ-साथ गाजियाबाद सीबीआई कोर्ट के एक जज पर भी तीखी टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने गाजियाबाद सीबीआई कोर्ट के जज द्वारा भी एक मामले में सही फैसला न दिए जाने पर निराशा जताई है।
लखनऊ जिला सेशन जज का मामला क्या है?
मिली जानकारी के अनुसार, वैवाहिक विवाद संबंधित एक केस लखनऊ कोर्ट आया था। इस केस में आरोपी और उसकी मां ने कोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी। लेकिन लखनऊ के सेशन जज ने जमानत देने से इनकार कर दिया। जज ने यह फैसला तब सुनाया जब केस में दोनों की गिरफ्तारी भी नहीं हुई थी। वहीं गाजियाबाद सीबीआई कोर्ट के जज का जो मामला है उसमें जज के पास एक कैंसर पीड़ित आरोपी ने जमनात की गुहार लगाई थी लेकिन जज ने उसे जमानत नहीं दी।
सुप्रीम कोर्ट ने इन दोनों मामलों पर गौर करते हुए कहा कि, दोनों ही जजों ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं किया है। जजों के द्वारा ऐसे फैसले लिए जा रहे हैं जो सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों से मेल ही नहीं खाते। सुप्रीम कोर्ट ने कड़क लहजे में कहा कि, कोर्ट में कानून के आधार पर फैसले सुनाए जाने चाहिए। बतादें कि, इस तरह के कई मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने उदार रुख अपनाया था और आरोपियों को आसानी से जमानत दे दी थी।
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने एक टिप्पणी करते हुए यह भी कहा था कि, अगर कोई बार-बार सही फैसले नहीं दे पा रहा है तो उससे न्यायिक काम की जिम्मेदारी ले ली जाएगी और उसे न्यायिक अकादमी भेज दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि, जजों को अपनी न्यायिक कुशलता को सुधारने की कोशिश करनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि, अगर कोई आरोपी जांच में सहयोग कर रहा है तो उसके खिलाफ चार्जशीट फाइल होने के बाद ही उसे गिरफ्तार किया जाना चाहिए।