लाशों के ढेर में हुआ कंपन और मुर्दाघर से जीवित लौट आया शख्स!

ओडिशा के बालासोर में हुआ भीषण ट्रेन हादसा सैकड़ों परिवारों को जीवनभर का दर्द दे गया है. इस हादसे में जहां 275 लोगों ने अपनी जान गंवा दी. वहीं करीब 900 लोग हमेशा के लिए विभिन्न अंगों से महरूम हो गए. दुख और शोक के इस माहौल में कई ऐसी कहानियां भी निकलकर सामने आ रही हैं, जिन्हें केवल चमत्कार ही कहा जा सकता है. एक पिता की जिद ने अपने बेटे को मरने से बचा लिया, जिसे मृतक मानकर शवों के बीच रखवा दिया गया था.
रिपोर्ट के मुताबिक हावड़ा (Howrah) में अपनी दुकान चलाने वाले हेलाराम मलिक हादसे से कुछ घंटे पहले ही अपने बेटे बिस्वजीत मलिक (24) को शालीमार स्टेशन पर छोड़कर गए थे. जब उन्हें बालासोर में भीषण ट्रेन हादसे के बारे में पता चला तो वे चिंता से भर गए. उन्होंने तुरंत अपने बेटे को फोन मिलाकर उसका हाल-चाल जानना चाहा. बेटे बिस्वजीत मलिक ने फोन तो उठाया लेकिन गंभीर रूप से घायल होने की वजह से ज्यादा बोल नहीं पाया और बेहोश हो गया.
पूरी रात गाड़ी चलाकर हावड़ा से पहुंचे बालासोर
इस फोन कॉल से हेलाराम मलिक को अंदाजा हो गया कि उनका बेटा घटना (Odisha Train Accident Updates) में बच तो गया है लेकिन गंभीर रूप से घायल है और उसे तुरंत मदद की जरूरत है. उन्होंने अपने बहनोई दीपक दास और स्थानीय एंबुलेंस चालक पलाश पंडित को कॉल करके बालासोर चलने के लिए तैयार किया. वे घटना वाली रात ही घटनास्थल के लिए निकल गए. हावड़ा से बालासोर की दूरी 230 किमी पड़ती है. देर रात बालासोर पहुंचने पर उन्होंने शहर के एक-एक अस्पताल में बेटे बिस्वजीत मलिक की खोज की लेकिन वह कहीं नहीं मिला.
शवों के बीच हिलता दिखा बेटे का हाथ, उसके बाद…
बेटे के न मिलने पर किसी अनिष्ट (Odisha Train Accident Updates) की आशंका से उनका दिल जोर-जोर से धड़क रहा था लेकिन उन्हें मन के किसी कोने में उम्मीद थी कि उनका बेटा जरूर जिंदा है. वे उसे लगातार तलाश करते रहे. इसी बीच किसी ने उन्हें बहानागा हाई स्कूल में जाने की सलाह दी, जहां पर शवों को रखा गया था. हेलाराम मलिक के मुताबिक, अधिकारियों ने शुरू में उन्हें शवों को देखने की अनुमति नहीं दी. बाद में किसी ने बताया कि किसी शव का हाथ हिल रहा है. इसके बाद अफसरों ने उन्हें अंदर जाने की प्रमीशन दे दी.
कोलकाता में चल रहा इलाज, अब तक 2 सर्जरी
उन्होंने जाकर देखा (Odisha Train Accident Updates) तो वह हाथ बिस्वजीत मलिक का ही था, जो शवों के बीच बेहद घायल अवस्था में पड़ा था. अफसरों से प्रमीशन लेकर उसे तुरंत एंबुलेंस से बालासोर अस्पताल ले जाया गया. वहां पर उसे कुछ इंजेक्शन दिए गए. इसके बाद उसकी गंभीर हालत को देखते हुए कटक मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया. हालांकि उन्होंने बेटे को वहां ले जाने से मना कर दिया और बॉन्ड पर साइन करके कोलकाता ले आए. फिलहाल रविवार-सोमवार को उसकी 2 सर्जरी हो चुकी हैं. उसके शरीर में कई फ्रैक्चर मिले हैं, जिन्हें ठीक होने में लंबा वक्त लगेगा.