मुख्यमंत्री का केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री को पत्र; मनरेगा के तहत मजदूरी बढ़ाकर 381.06 रुपये करने की मांग की गई है

* हरियाणा समान भौगोलिक स्थिति के बावजूद पंजाब की तुलना में अकुशल श्रमिकों के लिए अधिक मजदूरी का दावा करता है
* दोनों राज्यों में अकुशल श्रमिकों के वेतन में अंतर को पंजाब के साथ घोर अन्याय बताया गया
* पंजाब में खेत मजदूरों की दैनिक मजदूरी दर 381.06 है, जो मनरेगा से भी ज्यादा है
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अकुशल कृषि श्रमिकों के लिए पंजाब द्वारा अधिसूचित महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत अधिसूचित मजदूरी दर को बढ़ाकर 381.06 रुपये करने की मांग की है।
केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह को लिखे पत्र में मुख्यमंत्री ने योजना के तहत श्रमिकों के लिए अधिसूचित दरों में वृद्धि की मांग की है क्योंकि मौजूदा दरें बहुत कम हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब राज्य के लिए 303/- रुपये की मजदूरी दर अधिसूचित की गई है, जबकि पड़ोसी राज्य हरियाणा के लिए यह 357/- रुपये है। भगवंत मान ने कहा कि दोनों राज्यों की भौगोलिक और आर्थिक परिस्थितियां एक जैसी हैं लेकिन इसके बावजूद योजना की शुरुआत से ही अंतर बना हुआ है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब राज्य श्रम विभाग द्वारा अधिसूचित अकुशल कृषि श्रमिकों के लिए 381.06 रुपये की मजदूरी दर मनरेगा मजदूरी दर से अधिक है। इससे पता चलता है कि इस योजना के लाभार्थियों को उनके वाजिब हक से वंचित किया जा रहा है, जिसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। भगवंत मान ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हरियाणा में अकुशल श्रमिकों को समान काम के लिए पंजाब से अधिक भुगतान किया जाता है, जो श्रमिकों के साथ घोर अन्याय है।
इसलिए मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री से इस मामले की फिर से जांच करने और पंजाब की मजदूरी दरों को हरियाणा के बराबर या पंजाब राज्य श्रम विभाग की मजदूरी दरों को बढ़ाने के लिए हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने कहा कि मजदूरी में वृद्धि से लाभार्थियों की आजीविका में सुधार होगा और वे इस योजना के तहत उत्साहपूर्वक काम करने के लिए प्रेरित होंगे। उन्होंने उम्मीद जताई कि केंद्रीय मंत्री पंजाब के जायज दावे पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करेंगे और अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करेंगे।