मणिपुर में अब तक 50 मौतें, कर्फ्यू में आज ढील, CM ने की सर्वदलीय बैठक, जानें अभी कैसे हैं हालात?

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मणिपुर में भड़की भयंकर हिंसा (Manipur Violence) में 54 लोगों की मौत के बाद सेना (Army) की भारी मौजूदगी में इम्फाल घाटी में जनजीवन धीरे-धीरे पटरी पर लौट रहा है. दुकानें और बाजार फिर से खुल गए हैं और सड़कों पर कारें चलने लगीं हैं. मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में लगाए गए कुल कर्फ्यू में रविवार को सुबह 7 बजे से 10 बजे तक तीन घंटे की ढील दी गई है, ताकि लोगों को भोजन और दवा जैसी जरूरी वस्तुएं खरीदने में सुविधा हो सके. सेना, रैपिड एक्शन फोर्स और केंद्रीय पुलिस बलों (Central Reserve Police Force) की अधिक टुकड़ियों के आने से मजबूत हुई सुरक्षा को सभी प्रमुख इलाकों और सड़कों पर साफ देखा जा सकता है.

 

 

इंफाल शहर और अन्य जगहों पर ज्यादातर दुकानें और बाजार खुले हैं और लोगों ने सब्जियां और अन्य जरूरी सामानों की खरीद की. बहरहाल हर तरफ बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है. मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह ने राज्य में मौजूदा स्थिति का जायजा लेने के लिए शनिवार को सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता की. बैठक के दौरान राज्य में शांति की अपील करने के साथ ही सभी नागरिकों को किसी भी ऐसी कार्रवाई से बचने के लिए कहा गया, जिससे आगे हिंसा हो सकती है. वहीं मणिपुर के एक भाजपा विधायक डिंगांगलुंग गंगमेई ने मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने के हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है.

 

 

 

मणिपुर में हिंसा से प्रभावित करीब 13,000 लोगों को बचाया गया और उनको सुरक्षित जगहों पर भेजा गया. इनमें से कुछ को सेना के शिविरों में भेज दिया गया. सेना ने चुराचंदपुर, मोरेह, काकचिंग और कांगपोकपी जिलों को अपने कड़े नियंत्रण में ले लिया है. पूर्वी और पश्चिमी इंफाल जिलों में आगजनी की छिटपुट घटनाएं और असामाजिक तत्वों की नाकेबंदी करने की कुछ कोशिशों के अलावा राज्य में अब फिलहाल किसी तरह की हिंसक गतिविधि को नहीं देखा गया. राज्य के दो बड़े समुदायों के बीच लड़ाई में 54 लोगों की मौत हो गई और लगभग सौ घायल हो गए. हालांकि पुलिस इसकी पुष्टि करने को तैयार नहीं थी.

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