पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने जंतर-मंतर पर धरना दे रहे खिलाड़ियों के समर्थन का ऐलान किया

कहा- खिलाड़ी हमारे देश की शान, उनको मिलना चाहिए न्याय
मंडियों में गेहूं का उठान और भुगतान नहीं होने से किसान, मजदूर व आढ़ती परेशान- हुड्डा
खोखला साबित हुआ 72 घंटे में किसानों को भुगतान का वादा- हुड्डा
गिरदावरी व मुआवजा भुगतान के काम में तेजी लाए सरकार- हुड्डा
किसानों को 50 हजार तक मुआवजा व 500 रुपये बोनस दे सरकार
पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने जंतर-मंतर पर धरना दे रहे खिलाड़ियों के समर्थन का ऐलान किया है। हुड्डा का कहना है कि ये खिलाड़ी हमारे देश की शान हैं। इन्होंने हरबार देश के परचम को पूरी दुनिया में फहराया है। अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों को रोड पर आकर धरने पर बैठना पड़े बड़ी शर्मनाक बात है। खिलाड़ियों को न्याय मिलना चाहिए। क्योंकि उनकी मांग जायज है। ऐसे में वो खुद राजनीति से ऊपर उठकर लगातार खिलाड़ियों के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं। वो कल दिल्ली के जंतर-मंतर पर जाकर उनसे मुलाकात करेंगे। हुड्डा ने कहा कि उन्होंने बार-बार कुश्ती संघ पर लगे तमाम आरोपों की निष्पक्ष जांच करवाने की मांग की है। खिलाड़ियों की शिकायतों पर सरकार को तुरंत एक्शन लेना चाहिए। हुड्डा रोहतक और झज्जर में पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे।
उन्होंने आज रोहतक,बेरी, छारा,झज्जर,सांपला,बहादुरगढ़ आदि कई अनाज मंडियों का दौरा किया और किसान, मजदूर व आढ़तियों से बात की। हुड्डा ने बताया कि मंडियों में गेहूं का उठान और भुगतान नहीं होने के चलते किसान, मजदूर और आढ़ती बुरी तरह परेशान हैं।अनाज मंडियों किसान व किसान के अनाज की दुर्गति हो रही है। उन्होंने रोहतक समेत प्रदेशभर की मंडियों का दौरा किया। उठान नहीं होने के चलते आज मंडियों में गेहूं रखने के लिए जगह कम पड़ रही है। किसान मंडी के बाहर सड़कों, यहां तक कि शमशान घाट में अपनी फसल रखने के लिए मजबूर हैं।
उठान में देरी के चलते खेत के बाद मंडी में भी किसान का पीला सोना खराब होने का खतरा बना हुआ है। क्योंकि बार-बार मौसम करवटें ले रहा है। सरकार ने उठान के लिए वक्त रहते ट्रांसपोर्टर्स को टेंडर ही नहीं दिया। बाद में ऐसे लोगों को टेंडर दिया गया, जिनके पास पर्याप्त गाड़ियां भी नहीं है। जब तक उठान नहीं होगा और गेहूं गोदाम में नहीं पहुंचेगा, तब तक किसानों की पेमेंट रूकी रहेगी। इसलिए सरकार द्वारा 72 घंटे के भीतर किसानों को भुगतान करने का वादा खोखला साबित हुआ है।