तेजस्विनी तपस्विनी विशिष्ट रूपिणी मां ,
आह्वान कर रही हूँ. तेरा
कल्याण करो हें माँ।।

मृगलोचनी ज्योति स्वरूपा वत्सला तुम मां ,
सरस्वती तुम्ही विराजो ,
मम बुद्धि और हृदय में मां ।।

खड़क धारिणी, पाप हारनी नंदाशक्ति , दिव्यांगिनी माँ ,
मुक्ति मार्ग प्रशस्त करो तुम
मोक्ष दायनी मां।।

तेज स्वरूपा तुम शिव की अनुपम शक्ति हो,
जीवनदायिनी सुधा समाना परोपकारी
तुम हो माँ ॥

जन्मदात्री परम जननी,
पालन हारीनी तुम मां,
जगत में धर्म का विस्तार कर
उद्धार करो हें मां ॥

सहस्र सुर्यो की आभा वाली अखंड तेज तेरा,
ज्ञान दीप प्रज्वलित कर रहा इस तमस जगत में , मां।

सतोगुनी रजोगुणी तमोगुणी त्रिगुणी मां, शक्तिदायिनी
प्रगाढ़ करना
निरंतर मेरा विश्वास ,मां।।

अथाह शक्ति छुपी है मेरी देह में और मन में,
अवगत करा दे शांभवी, व्यक्त करा दे इसी पल में।।

नतमस्तक हो, शरणागत हूं तेरी ,
और किससे रखूं आस,
आस तो बस तेरी ही कृपा की ,
ब्रह्म स्वरूपा तुम हृदय विराजो , मां।

स्व रचित
मृदुला जोशी
पंचकुला

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