जिंदगी में पहली बार भर रहे हैं ITR तो इस एक बात का रखना होगा विशेष ध्यान

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यह साल का वह समय है जब वेतनभोगी व्यक्ति अपने नियोक्ताओं से फॉर्म-16 प्राप्त करते हैं और अपना आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करना शुरू करते हैं. हालांकि आईटीआर को ई-फाइल करने की प्रक्रिया त्वरित, आसान हो गई है और इसे कोई भी व्यक्ति घर बैठे आराम से पूरा कर सकता है, लेकिन अगर आप पहली बार इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल कर रहे हैं तो आईटीआर दाखिल करने की पूरी प्रक्रिया चुनौतीपूर्ण हो सकती है. साथ ही जिंदगी में पहली बार आईटीआर दाखिल कर रहे हैं तो एक विशेष बात का आपको काफी ध्यान रखना चाहिए, वरना इसका काफी असर पड़ सकता है.

 

नए टैक्सपेयर्स के लिए शायद सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह पता लगाना होगा कि वे नई कर व्यवस्था चुनना चाहते हैं या पुरानी व्यवस्था. वर्तमान में आईटीआर नए टैक्स रिजीम और पुराने टैक्स रिजीम के तहत दाखिल किया जाता है. वहीं नया टैक्स रिजीम डिफॉल्ट टैक्स रिजीम है. ऐसे में लोगों को इस बात की जानकारी जरूर रखनी चाहिए कि उन्हें नए टैक्स रिजीम के तहत टैक्स दाखिल करना है या पुराने टैक्स रिजीम के तहत टैक्स दाखिल करना है

 

नई कर व्यवस्था कम टैक्स दरों की पेशकश करती है, पुरानी व्यवस्था में कुछ कटौती और कर लाभ हैं जो करदाता को टैक्स बचाने की अनुमति देते हैं. एक विकल्प चुनना होगा और ऐसा करने का एक तरीका ऑनलाइन टैक्स कैलकुलेटर में से एक को चुनना है ताकि यह पता लगाया जा सके कि किस व्यवस्था में करदाता को कम टैक्स का सामना करना पड़ेगा. वेतनभोगी टैक्सपेयर्स अपनी कर व्यवस्था दाखिल करते समय अधिक लाभकारी टैक्स व्यवस्था चुन सकते हैं, इसलिए उन्हें स्विच करने की अनुमति है.

 

हालांकि, यह उन लोगों के लिए संभव नहीं है जिनकी आय किसी व्यवसाय से है. गुप्ता ने कहा कि यदि टैक्सपेयर्स नई कर व्यवस्था (यदि आप अपने नियोक्ता को सूचित करने में विफल रहते हैं तो डिफॉल्ट व्यवस्था) चुनते हैं, तो उन्हें अभी भी ईपीएफ, पीपीएफ और जीवन बीमा जैसे कुछ निवेशों पर निवेश करने के साधन के रूप में विचार करना चाहिए. वहीं पुराने टैक्स रिजीम से टैक्स दाखिल किया जाता है तो कई इंवेस्टमेंट के फायदों का लाभ भ 80C और अन्य धाराओं के तहत उठाया जा सकता है.

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