चंद्रबाबू नायडू की न्यायिक हिरासत 19 अक्टूबर तक बढ़ी

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विजयवाड़ा एसीबी कोर्ट ने गुरुवार को कथित कौशल विकास निगम घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू की न्यायिक हिरासत 19 अक्टूबर तक बढ़ा दी। नायडू की हिरासत समाप्त होने के साथ, उन्हें राजमुंदरी सेंट्रल जेल से न्यायाधीश के सामने वर्चुअली पेश किया गया। न्यायाधीश ने हिरासत की अवधि दो सप्ताह के लिए बढ़ा दी। अदालत ने नायडू की जमानत याचिका के साथ-साथ उनकी हिरासत के लिए सीआईडी याचिका पर सुनवाई भी शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दी। सीआईडी ने नायडू को 9 सितंबर को गिरफ्तार किया था। कथित घोटाला उस समय हुआ था जब वह मुख्‍यमंत्री थे।

अगले दिन विजयवाड़ा एसीबी कोर्ट ने उन्हें 22 सितंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया। बाद में उन्हें राजमुंदरी सेंट्रल जेल में स्थानांतरित कर दिया गया। बाद में अदालत ने नायडू की न्यायिक हिरासत 24 सितंबर तक बढ़ा दी थी। उसी दिन अदालत ने उन्हें दो दिन की सीआईडी हिरासत में भेज दिया था। 24 सितंबर को कोर्ट ने उनकी न्यायिक हिरासत 5 अक्टूबर तक बढ़ा दी थी। आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने नायडू की उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने और उनकी न्यायिक हिरासत को रद्द करने की याचिका खारिज कर दी थी। उन्होंने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। यह मामला आंध्र प्रदेश राज्य में उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना से संबंधित है, जिसकी कुल अनुमानित परियोजना लागत 3,300 करोड़ रुपये थी।

 

सीआईडी ने दावा किया कि कथित धोखाधड़ी से राज्य सरकार को 371 करोड़ रुपये का भारी नुकसान हुआ है। एजेंसी ने दावा किया कि 371 करोड़ रुपये की अग्रिम राशि, जो सरकार की ओर से परियोजना के लिए 10 प्रतिशत प्रतिबद्धता के तहत दिया जाना था, निजी संस्थाओं द्वारा किसी खर्च से पहले ही जारी कर दी गई। सीआईडी के अनुसार, सरकार द्वारा अग्रिम के रूप में जारी की गई अधिकांश धनराशि फर्जी चालान के माध्यम से शेल कंपनियों को भेज दी गई, चालान में उल्लिखित वस्तुओं की कोई वास्तविक डिलीवरी या बिक्री नहीं हुई। सीआईडी ने अपनी रिमांड रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि छह कौशल विकास समूहों पर निजी संस्थाओं द्वारा खर्च की गई कुल राशि विशेष रूप से राज्य सरकार और आंध्र प्रदेश कौशल विकास केंद्र द्वारा दी गई धनराशि से प्राप्त की गई थी, जो कुल 371 करोड़ रुपये थी।

 

 

 

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