चंडीगढ़ में दौड़ेगी नियो मेट्रो, प्रशासन कर रहा DPR तैयार
चंडीगढ़ और ट्राईसिटी में मेट्रो रेल प्रोजेक्ट से पहले नियो मेट्रो चलाई जा सकती है। शहर में मेट्रो से सस्ते और आरामदायक सफर की संभावना पर विचार किया जा रहा है। चंडीगढ़ की सड़कों पर मेट्रोलाइट या नियो मेट्रो दौड़ सकती है। गौर हो कि नियो मेट्रो के लिए अलग से रेल लाइन बिछाने की जरूरत नहीं रहती, बल्कि यह सड़क मार्ग पर ही इसकी सुविधा रहती है। इसकी अधिकतम स्पीड 60 किलोमीटर तक रहती है।
चंडीगढ़ प्रशासन ने नियो मेट्रो की संभावना को लेकर राइटस (रेल इंडिया टेक्निकल एंड इकोनोमिक सर्विसेस) को फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार करने के आदेश दिए हैं ताकि कंप्रीहेंसिव मोबिलिटी प्लान (सीएमपी) में एक बेहतर विकल्प जोड़ा जा सके। हालांकि अभी तक यह तय नहीं कि नियो मेट्रो को मेट्रो की जगह विकल्प के तौर पर चलाया जाएगा अथवा इसे मेट्रो के अलावा सीएमपपी में जोड़ा जाएगा।
केंद्र सरकार के निर्देशानुसार ट्राइसिटी को मेट्रो रेल प्रोजेक्ट की डीपीआर पर आगे बढ़ने से पहले एएआर (अल्टरनेटिव एनालिसिस रिपोर्ट) यानी वैकल्पिक विश्लेषण रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश हैं। इसी के तहत यूटी प्रशासन की शुक्रवार को राइट्स और पंजाब-हरियाणा सहित अन्य हितधारकों के साथ हुई बैठक में इसकी संभावना तलाशने के निर्देश दिए गए। लिहाजा राइट्स मैट्रो रेल की डीपीआर बनाने से पहले एएआर पर काम करेगी, जिसके तहत शहर में नियो मेट्रो जैसे प्रोजेक्ट की संभावना तलाशी जाएगी। जानकारी के अनुसार इसमें एजेंसी को यह देखना होगा कि इस प्रोजेक्ट पर लागत कितनी आएगी, क्या इसे मौजूदा रोड नेटवर्क से जोड़ा जा सकता है या फिर इसके लिए अलग से रोड इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करना होगा।
देश के कई बड़े शहरों में मेट्रो रेल प्रोजेक्ट का विस्तार हो रहा है। इसी बीच महाराष्ट्र के नासिक और दिल्ली में नियो मेट्रो का सफल प्रयोग किया गया है। इस प्रोजेक्ट की लागत मेट्रो से अमूमन 40 फीसदी कम रहती है। दिल्ली के कीर्तिनगर से बमनोली तक 19.09 किलामीटर तक नियो मेट्रो चलाई जा रही है, जिसमें कुल 21 स्टेशन हैं। वहीं, नासिक में पहले नियो मेट्रो प्रोजेक्ट शुरू किया गया है जो 32 किलोमीटर के क्षेत्र को कवर करता है। यह एक तरह का इन्नोवेटिव ट्रांसपोर्ट सीस्टम है, जो सड़क नेटवर्क को सपोर्ट करता है।