ग्रामीण विकास निधि के मुद्दे पर मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को लिखा पत्र

ग्रामीण विकास निधि के 5637.4 करोड़ रुपये के बकाए का मामला राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के समक्ष उठाने की अपील की गयी.
चंडीगढ़, 21 सितंबर
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने राष्ट्रपति और प्रधान मंत्री के साथ ग्रामीण विकास निधि (आरडीएफ) के 5,637.4 करोड़ रुपये के रोके जाने का मुद्दा उठाने के लिए पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित से हस्तक्षेप की मांग की।
राज्यपाल को लिखे पत्र में भगवंत सिंह मान ने याद दिलाया कि पंजाब देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय अनाज भंडार में बहुत योगदान देता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार केंद्र सरकार के लिए और उसकी ओर से अनाज खरीदती है और केंद्रीय पूल के लिए खरीदा गया सारा अनाज भारत सरकार को उसकी आवश्यकता के अनुसार सौंप दिया जाता है। उन्होंने कहा कि इस प्रयोजन के लिए राज्य सरकार अपनी एजेंसियों के माध्यम से भारत सरकार के खरीद एजेंट के रूप में कार्य करती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सैद्धान्तिक रूप से खाद्यान्न क्रय पर होने वाले समस्त व्यय की प्रतिपूर्ति खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि केसर मार्केटिंग सीज़न 2020-21 की अनंतिम खरीद शीट में, भारत सरकार ने कुछ स्पष्टीकरणों की कमी के कारण ग्रामीण विकास निधि का भुगतान नहीं किया है।
भगवंत सिंह मान ने कहा कि चर्चा के बाद, राज्य सरकार ने खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय और भारत सरकार/एफसीआई द्वारा मांगे गए सभी स्पष्टीकरण प्रस्तुत किए। पंजाब ग्रामीण विकास अधिनियम, 1987 के निर्देशों के अनुसार भी संशोधन किया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि तदनुसार, भारत सरकार ने रबी विपणन सत्र 2021-22 के लिए ग्रामीण विकास निधि की रुकी हुई धनराशि जारी कर दी है। उन्होंने खेद व्यक्त किया कि पंजाब ग्रामीण विकास अधिनियम, 1987 में संशोधन के बावजूद, भारत सरकार के खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने केसर विपणन सत्र 2021-22 से ग्रामीण विकास निधि रोक दी है।भगवंत सिंह मान ने कहा कि पंजाब ग्रामीण विकास अधिनियम (पीआरडीए) 1987 की धारा 7 के अनुसार, ग्रामीण विकास शुल्क के रूप में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का तीन प्रतिशत पंजाब ग्रामीण विकास बोर्ड को देना होता है।