गुस्सा करें या प्यार, बच्चों से कभी न कहें ये 5 बातें, उनके दिल और दिमाग पर पड़ सकता है उल्टा असर

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तुलना करने से बचें: कई बार पैरेंट्स बच्चों की तुलना दूसरों से करने लगते हैं, जिससे बच्चों के मन में ईर्ष्या और हीन भावना पैदा हो जाती है. ऐसे में बच्चों की अच्छी या बुरी आदतों को कभी दूसरे बच्चों से कम्पेयर न करें. खास कर बच्चों के सगे भाइयों और बहनों से तुलना बिल्कुल न करें. इससे ईर्ष्या के चलते बच्चा अकेले में उनको हर्ट भी कर सकता है

 

डांटने से बचें: कई बार पैरेंट्स बच्चों को बात-बात पर डांटते हैं, जिससे बच्चे अंदर ही अंदर गुस्सा रहने लगते हैं. ऐसे में बच्चों को हमेशा रोकने या टोंकने से बचना चाहिए. इससे बच्चे बचपन को अच्छी तरह एन्जॉय कर पाएंगे. साथ ही आपसे भावनात्मक लगाव भी बढ़ने लगेगा.

 

आलसी बोलने से बचें: कुछ बच्चे हर काम को काफी धीरे-धीरे और आराम से करते हैं, जिससे पैरेंट्स बच्चों को सुस्त या आलसी करार दे देते हैं मगर इससे बच्चे हर्ट हो जाते हैं. बच्चों को डांटने या ताने मारने की बजाय उन्हें प्यार से बिठाकर समझाएं और फुर्ती के साथ काम करने की सलाह दें

 

 

मारना अवॉयड करें: पैरेंट्स अक्सर बच्चों की गलती पर उन्हें मारने लगते हैं, जिससे बच्चे हमेशा डरे सहमे रहते हैं. साथ ही अपने मन की बात पैरेंट्स से शेयर नहीं करते हैं. ऐसे में माता-पिता के साथ बच्चों की दूरियां बढ़ने लगती है, इसलिए गलती करने पर बच्चे को प्यार से समझाएं और ज्यादा सख्ती से पेश न आएं

 

अपशब्द न बोलें: कई बार गुस्से में पैरेंट्स बच्चों को काफी अपशब्द कहने लगते हैं. तो कई बार प्यार और मजाक में भी अभिभावक बच्चों को गलत तरीके से सम्बोधित कर देते हैं, जिसे सुनने के बाद बच्चे बुरी तरह हर्ट हो जाते हैं. इससे बच्चों के मन पर भी बुरा असर पड़ता है, इसलिए गुस्से में अपने शब्दों पर ध्यान दें और बच्चों को बुरा-भला कहने से बचें

 

 

 

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