गीता का उपदेश किसी धर्म, जाति, क्षेत्र और भाषा के लिए नहीं है वह सम्पूर्ण मानव जाति के लिए है” – गृह मंत्री अनिल विज
श्रीकृष्ण जी का गीता में दिया एक एक वक्तव्य मनुष्य की जिंदगी की गांठों को खोल देता है – अनिल विज
गीता को सफलता की कुंजी भी कहा जाता है – विज
गीता का संदेश धीरे-धीरे दुनिया के सभी देशों में लेकर जाएंगे – विज
चंडीगढ़– हरियाणा के गृह मंत्री श्री अनिल विज ने कहा कि “श्री कृष्ण जी ने जो गीता का उपदेश दिया है वह किसी धर्म, जाति, क्षेत्र और भाषा के लिए नहीं है वह सम्पूर्ण मानव जाति के लिए है। उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण जी का एक एक वक्तव्य मनुष्य की जिंदगी की गांठों को खोल देता है और इसको सफलता की कुंजी भी कहा जाता है। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि हम गीता का संदेश धीरे-धीरे दुनिया के सभी देशों में लेकर जाएंगे।
श्री विज आज ऑस्ट्रेलिया के कैनबरा के फेडरल पार्लियामेंट में अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के उद्घाटन (ओपनिंग सेरेमनी) अवसर पर मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित लोगों को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर उन्होंने गीता प्रेरणा पुस्तक का विमोचन किया। इस कार्यक्रम में श्री विज को हरियाणा के सम्मान का सूचक पगड़ी पहनाकर सम्मानित भी किया गया। इस अवसर पर गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज, स्वामी सुदर्शन आनंद जी, पानीपत से विधायक महिपाल ढांडा, कार्यक्रम में उपस्थित विभिन्न अंबेसडर, कमिश्नर और ऑस्ट्रेलिया सरकार के सीनेटर और चीफ मिनिस्टर भी उपस्थित थे।
‘फकत शास्त्र को बना रहनुमा, की करना है क्या, तुझे करना है क्या ना’ – विज
उन्होंने सभागार में उपस्थितजनों से कहा कि ऑस्ट्रेलियन पार्लियामेंट में इस सभागार में अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का कार्यक्रम करके हम सब एक इतिहास का हिस्सा बन गए हैं। गीता जी का प्रचार प्रसार जितना किया जाए उतना कम है। उन्होंने कहा कि आपके जीवन में जब कभी कोई दोराहा आ जाए, मालूम ना पड़े कि किधर जाना है, पूरब को जाना है या पश्चिम को जाना है, उत्तर को जाना है या दक्षिण को जाना है तो गीता जी में लिखा है कि ‘फकत शास्त्र को बना रहनुमा, की करना है क्या, तुझे करना है क्या ना’।
गीता में कर्म योग पर बल दिया गया है – विज
उन्होंने कहा कि गीता जी को खोल कर देखेंगे तो उसमें आपके हर प्रश्न का उत्तर दिया हुआ है। गीता जी ने बेशक महाभारत के युद्ध के समय, जब अर्जुन ने अपने हथियार गिरा दिए तो भगवान श्री कृष्ण ने उनको गीता का उपदेश दिया। उन्होंने कहा कि ज्ञानी लोग, जानने वाले लोग मरने वाले का दुख नहीं मनाते और श्रीकृष्ण ने हर तरह से हर तरह का ज्ञान, जिसमें ज्ञान योग, भक्ति योग, और कर्म योग के बारे में बताया है। सबसे ज्यादा बल कर्म योग पर दिया है कि हमें फल की चिंता किए बगैर अपना कर्म करना है अपने काम को अंजाम देना है। उन्होंने श्लोक बताते हुए कहा कि
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन ।
मा कर्मफलहेतुर्भुर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि ॥
अर्थात
कर्म तेरे अधिकार में केवल कर्म किए जा तू कर्म किए जा। फल की इच्छा त्याग के अर्जुन पालन अपना धर्म किए जा ॥
श्री विज ने कहा कि गीता जी में श्रीकृष्ण ने यह महावाक्य कह दिया कि तुझे अपना काम करना है अपने फल की चिंता किए बगैर। यह महावाक्य वह केवल अर्जुन को नहीं कह रहे, वह हम सब को कहा है हम सब आज के अर्जुन हैं हम सबके सामने किसी ना किसी वक्त ऐसी दुविधा और कठिनाइयां आती है कि हम सोचने पर विवश होते हैं। उन्होंने कहा कि इस दुनिया को सुंदर, संस्कृत बनाने और अच्छे विचारों का संचार करने के लिए उन्होंने यह महामंत्र दिया कि आप अपने काम को करिए उसका फल क्या होगा इसकी चिंता मत करिए क्योंकि फल देना भगवान का काम है और फल भगवान देता है। उन्होंने कहा कि लाखों-करोड़ों लोगों ने इस मंत्र को धार कर आनंद की अनुभूति की है।
गीता जी कोई पाठ पूजा की वस्तु नहीं है, गीता तो पढ़ने की पुस्तक है – विज
गृह मंत्री ने कहा कि गीता जी कोई पाठ पूजा की वस्तु नहीं है, गीता तो पढ़ने की पुस्तक है, हम इसको पढ़ें। हम इसकी कई बातों को मानते नहीं है लेकिन जानते है लेकिन जानने के साथ मानना भी बहुत जरूरी है और अगर हम मानेंगे तो हमारे सामने सफलता के सारे रास्ते खुलते चले जाएंगे। कोई हमारा रोक नहीं कर सकेगा और कोई हमें रुकावट नहीं डाल सकेगा। उन्होंने कहा कि यह जो हमारा समाज है जो हमारा मानवतावाद है यह अच्छी तरह से फलेगा और फूलेगा।
गीता जी किसी धर्म के लिए नहीं, सभी धर्मों के लिए है, यह मानव के कल्याण के लिए है – विज
उन्होंने कहा कि गीता जी किसी धर्म के लिए नहीं है यह सभी धर्मों के लिए है यह मानव जाति के लिए हैं यह मानव के कल्याण के लिए है मानव को आगे का रास्ता दिखाने के लिए है आत्मा को परमात्मा से मिलाने के लिए है। गीता जी में श्री कृष्ण ने बताया कि आदमी खुशी के लिए सारा दिन घूमता है वह भौतिक वस्तुओं में खुशियां ढूंढता है लेकिन भौतिक वस्तुओं में खुशियां नहीं है, भौतिक वस्तुएं खुशियां नहीं दे सकती। उन्होंने उदहारण देते हुए कहा कि “मेरा एक समय मन करता था कि मैं साइकिल ले लूं मैंने साइकिल ली शायद मुझे इसी में खुशी मिलेगी लेकिन 4 दिन के बाद वह खुशी दूर हो गई, फिर मैंने कहा मैं स्कूटर ले लूं फिर मैंने स्कूटर ली स्कूटर लेने के बाद उसकी भी खुशी दूर हो गई, फिर मैंने कार ली, तो इस प्रकार से यह बढ़ता जाता है इच्छाएं बढ़ती जाती हैं लेकिन जो खुशी है वह अनंत है जिसकी प्राप्ति के लिए इस धरती पर व्यक्ति के आने का एकमात्र उद्देश्य है कि अनंत की प्राप्ति की जाए।
अनंत में ही आनंद है – विज
उन्होंने कहा कि जो अनंत है और जिस पर परमात्मा ने प्रॉपर्टी राइट लगा रखा है वह केवल परमात्मा के पास है और वह किसी के पास नहीं है। जब तक हम हम बने रहेंगे हम परमात्मा के सामने नहीं जाएंगे। उन्होंने श्लोक के माध्यम से बताया कि श्रीकृष्ण ने यह भी कहा कि –
सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।
अहं त्वां सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः ॥
अर्थात
सभी प्रकार के धर्मों का परित्याग करो और केवल मेरी शरण ग्रहण करो। मैं तुम्हें समस्त पाप कर्मों की प्रतिक्रियाओं से मुक्त कर दूंगा, डरो मत।
उन्होंने कहा कि “मैं हम तभी तक भुगतते हैं जब हम मानते हैं कि हम कर रहे हैं मैं कर रहा हूं”। उन्होंने कहा कि “दो आई होती है एक छोटी आई, जो मेरी है अर्थात आई एम। एक बड़ी आई है जो परमात्मा की है। एक आई एक ही समय में रहती है जैसे ही हम अपनी आई खत्म करते हैं तो हमारा चार्ज बड़ी आई ले लेती है और वह अनंत से भरपूर है उसी के पास ही अनंत है और किसी भी चीज में आनंद नहीं है”।
सच वो है जो कल भी था, आज भी है और कल भी रहेगा – विज
उन्होंने कहा कि हम तो परमात्मा को सच्चिदानंद भी कहते हैं कि वह सच है उसमें आनंद है वह नित्य हैं। सच वो है जो कल भी था, आज भी है और कल भी रहेगा। हम दुनियावी चीजों के ऊपर इस फार्मूले को लगा कर देखें तो दुनिया की एक भी चीज सच नहीं है सब झूठ है सच केवल परमात्मा है और उसका दर्शन करवाने के लिए गीता जी का जितना पाठ किया जाए, जितना इसको समझा जाए, दूसरों को समझाया जाए, उतना अच्छा है। जितना हम इसको आत्मसात करेंगे, जितना इसके कर्मों पर चलने की कोशिश करेंगे, दुनिया के सारे खजाने आपके सामने खुल जाएंगे।
गीता का पैगाम धीरे-धीरे दुनिया के सभी देशों में लेकर जाएंगे – विज
उन्होंने कहा कि यह बहुत अच्छी बात है कि हमने यह शुरुआत की है और हम गीता का प्रचार-प्रसार दुनिया के हर कोने में तक लेकर जाएंगे। इसके प्रचार और प्रसार के लिए हरियाणा सरकार हर बार एक देश को चुनती है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव हम पहले कनाडा, यूके और मॉरिशस में आयोजित कर चुके है और अब ऑस्ट्रेलिया में गीता महोत्सव को मनाया जा रहा है और धीरे-धीरे दुनिया के सभी देशों में यह पैगाम लेकर जाएंगे ताकि यह सारी दुनिया खुशियों से भरपूर हो सके।
गृह मंत्री ने विभिन्न संगठनों का गीता महोत्सव आयोजित करने के लिए आभार प्रकट किया
उन्होंने कुरूक्षेत्र डेवलपमेंट बोर्ड, एसोसिएशन ऑफ हरियाणा इन ऑस्ट्रेलिया, भारत सरकार तथा जिओ गीता का अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव ऑस्ट्रेलिया में आयोजित करने के लिए अपनी ओर से आभार प्रकट किया और कहा कि आप सब ने मिलकर यह प्रयास किया जोकि सराहनीय है। श्री विज ने एसोसिएशन ऑफ हरियाणा इन ऑस्ट्रेलिया के पदाधिकारी सेवा सिंह का भी विशेषतोर पर आभार प्रकट किया।