कालका-शिमला के बीच चलेगी हाइड्रोजन ईंधन ट्रेन, 4 घंटे में पूरा होगा सफर

रेलवे बोर्ड ने हाइड्रोजन गैस का वाटर प्लांट लगाने के लिए जमीन आवंटन की प्रक्रिया पूरी कर ली है. जिसके बाद विश्व धरोहर कालका-शिमला रेलवे ट्रैक पर 2025 तक हाइड्रोजन ट्रेन दौड़ेगी.
इस ट्रेन के चलने से ईंधन की बचत होगी. इसके साथ ही ट्रेन से पर्यटकों को अच्छी सुविधाएं मिलेंगी और पर्यावरण भी खूबसूरत होगा. इस संबंध में रेलवे की ओर से ट्रायल भी लिया जा चुका है. ऐसे में उम्मीद है कि इस ट्रेन के चलने से पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी होगी.
इन जगहों का चयन कर लिया गया है
शिमला और बड़ोग में प्लांट स्थापित करने के लिए भूमि आवंटन का कार्य पूरा हो चुका है। रेलवे बोर्ड की देखरेख में ही इस प्रोजेक्ट को बढ़ावा दिया जा रहा है. हाइड्रोजन ईंधन तेल या बिजली की तुलना में सस्ता और कम प्रदूषणकारी है। कालका-शिमला रेलवे ट्रैक पर हाइड्रोजन ट्रेन चलाने के लिए रेलवे बोर्ड ने गैस उत्पादन और जल संयंत्र के लिए 3 साइटों का चयन किया है।
हाइड्रोजन को प्रदूषण रहित स्वच्छ ईंधन माना जाता है। हाइड्रोजन ईंधन के उपयोग से हानिकारक गैसों का शून्य उत्सर्जन होता है और केवल जल वाष्प उत्सर्जित होता है, जिसे हरित आवरण में स्वच्छ और पर्यावरण के अनुकूल माना जाता है। रेलवे का लक्ष्य हरित ईंधन आधारित ट्रेनें उपलब्ध कराने के लिए डीजल से चलने वाले इंजनों को हाइड्रोजन इंजन में बदलना है।
यात्रा 4 घंटे में पूरी होगी
इन रेल कोचों में सीसीटीवी कैमरे, हीटर, डिजिटल बोर्ड, मोबाइल चार्जर पॉइंट होंगे। इंजन तीनों कोचों से जुड़ा होगा। आपको बता दें कि यह ट्रेन 5 की जगह 4 घंटे में शिमला पहुंच जाएगी. कालका-शिमला रेलवे ट्रैक पर हाइड्रोजन ट्रेनों के 3 सेट चलाए जाएंगे. जिसमें पर्यटकों को वंदे भारत जैसी सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी.