एंबुलेंस का क्लेम न देने पर न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लगाया 25 हज़ार का जुर्माना

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उपभोक्ता अदालत ने 67 हजार 812 रुपये अब तक नौ प्रतिशत ब्याज के साथ लौटाने के आदेश दिए
रागा न्यूज़, मोहाली

एंबुलेंस के एक्सीडेंट का क्लेम न देने पर उपभोक्ता अदालत ने
न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लगाया 25 हज़ार का जुर्माना और बिल के
67 हजार 812 रुपये अब तक नौ प्रतिशत ब्याज के साथ लौटाने के आदेश दिए।
डीसी मोहाली ने रीजनल स्पाइनल इंजरी सेंटर सेक्टर 70 मोहाली को एक एंबुलेंस दान की थी। जब यह एंबुलेंस खरीदी गई तो इसका बीमा न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी से कराया गया था। अप्रैल 2018 में इसका एक्सीडेंट हो गया। इसके बाद कंपनी ने इसका क्लेम नहीं दिया। अब उपभोक्ता अदालत ने 67 हजार 812 रुपये अब तक नौ प्रतिशत ब्याज के साथ लौटाने के आदेश दिए हैं। इंश्योरेंस कंपनी पर 25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

जानकारी के अनुसार डीसी मोहाली की तरफ से रीजनल स्पाइनल इंजरी सेंटर मोहाली को एक एंबुलेंस दान की गई थी। उस समय भारत सरकार का टाटा मोटर्स मुंबई के साथ एक करार हुआ था कि सरकारी अस्पतालों में एंबुलेंस के लिए टाटा की विंगर गाड़ी उपलब्ध कराई जाए लेकिन 27 अप्रैल 2018 को इस गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया था। इसमें अजय कुमार नाम के व्यक्ति की मृत्यु हो गई थी। एक्सीडेंट के दौरान एंबुलेंस बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई थी। इसे बाद में टाटा कंपनी में मरम्मत के लिए भेजा गया था। कंपनी ने मरम्मत के बाद इस का बिल 1.42 लाख रुपये बनाया था, जोकि स्पाइनल सेंटर की तरफ से चेक के जरिए एक मई 2018 को अदा किया था। सेंटर ने इंश्योरेंस कंपनी से इस रकम की मांग की थी। इसके साथ 2200 रुपये गाड़ी को टाटा के मरम्मत केंद्र तक भेजने के भी मांगे थे जो इंश्योरेंस कंपनी ने नहीं दिए।

यह मामला उपभोक्ता अदालत में पहुंचा तो कंपनी की तरफ से दलील दी गई कि जब इस गाड़ी का एक्सीडेंट हुआ था तो मरम्मत सेंटर पर राज ऋषि शर्मा को सुपरवाइजर के तौर पर भेजा गया था। उन्होंने 15 जून 2018 को अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि गाड़ी की मरम्मत का खर्चा 67812 रुपये होगा लेकिन यह गाड़ी हल्का मोटर वाहन के तौर पर रजिस्टर्ड है जबकि इंश्योरेंस व्यावसायिक वाहन का कराया हुआ है। इसके लिए कंपनी की तरफ से रीजनल स्पाइनल सेंटर को चिट्ठी लिखी गई थी कि वाहन के रजिस्ट्रेशन को ठीक कराकर कंपनी को भेजा जाए। बार-बार चिट्ठी लिखने के बाद भी अस्पताल की तरफ से कोई जवाब नहीं दिया गया। अदालत ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद माना कि कंपनी का इंश्योरेंस वैध है। इंश्योरेंस एंबुलेंस के नाम पर कराया गया है। गाड़ी का इस्तेमाल भी एंबुलेंस के तौर पर ही हो रहा है। अदालत ने इंश्योरेंस कंपनी को 67812 रुपये अब तक के नौ प्रतिशत ब्याज के साथ देने के आदेश दिए हैं। इसके साथ ही इंश्योरेंस कंपनी पर 25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

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