आस्था | अमृत वेले हुक्मनामा श्री दरबार साहिब, अमृतसर, अनुच्छेद 676
अमृत वेले हुक्मनामा श्री दरबार साहिब, अमृतसर, अनुच्छेद 676, दिनांक 02-11-2023
धनासरी महला 5. बारम्बार तर्पण, जन साधु बताई सारी युक्ति। सगल बिधि कामी न आवै हरि हरि नामु धिया।1। गोपाल तुम पर मोहित हो गया है. सरनि परयो पुराण परमेसुर बिनसे सगल जंजाल। रहना सुरगा मिरत पायल भू मंडल सगल बियापे माई॥ जिय उधरं सर्ब कुल तारं हरि हरि नामु ध्याय।।2।।
धनसारी महल 5 बार-बार ऋषियों से मुलाकात हुई और सारा उद्देश्य समझ में आया। आन सगल बिधि कामी न आवै हरि हरि नामु धियाआ ॥1॥ ता ते मोहि धारी ओट गोपाल। सारनि परियो पुरान परमेसुर बिनसे सगल जंजाल॥ रहना सुरगा मिरत पायल भू मंडल सगल बियापे माई॥ ॥॥॥॥॥
अरे भइया! खोज करते समय, जब मैं गुरु महा पुरख से मिला, तो पूरे गुरु ने (मुझे) यह समझ दी कि कोई भी अन्य युक्ति (माया के भ्रम से बचने के लिए) काम नहीं करेगी। भगवान का नाम तभी उपयोगी है जब उसका ध्यान किया जाए।1. इसके लिए हे भाई! मैंने भगवान की शरण ली. (जब मैंने) सर्वव्यापी भगवान की शरण ली, तो मेरी (माया की) सारी उलझनें नष्ट हो गईं। अरे भइया! देव लोग, मातृ लोक, पाताल- सारी सृष्टि माया में फँसी हुई है। अरे भइया! सदैव भगवान के नाम का ध्यान करो, यही आत्मा को (माया के भ्रम से) छुड़ाने वाला है, यही समस्त कुलों का उद्धार करने वाला है।2.
अरे भइया! तलाश करते हुए जब गुरु महा पुरख से मेरी मुलाकात हुई तो पूरे गुरु ने (मुझे) यही समझा (माया के मोह से बचने के लिए) और सभी संघर्षों में से एक भी संघर्ष सुनने को नहीं मिला। 1. इसके लिए हे भाई! मैंने भगवान की मदद ली. (जब मैं) सर्वव्यापी भगवान के पास आया, मेरी सारी गंदगी (प्रेम की) नष्ट हो गई। रहो। अरे भइया! देव लोक, मात लोक, पाताल-सरि ही सृष्टि माया (मोह में) फसी है अरे भइया! सदैव भगवान का नाम जपें, यही माया के मोह से जीवन की रक्षा करने वाले हैं, यही सभी कुलों को जीतने वाले हैं।2.