आस्था | अमृत वेले हुक्मनामा श्री दरबार साहिब, अमृतसर, अंग 676
अमृत वेले हुक्मनामा श्री दरबार साहिब, अमृतसर, अंग 676, दिनांक 31-10-2023
धनासरी महला 5.
बारम्बार तर्पण, जन साधु बताई सारी युक्ति। सगल बिधि कामी न आवै हरि हरि नामु धिया।1। गोपाल तुम पर मोहित हो गया है. सरनि परयो पुराण परमेसुर बिनसे सगल जंजाल। रहना सुरगा मिरत पायल भू मंडल सगल बियापे माई॥ जिय उधरं सर्ब कुल तारं हरि हरि नामु ध्याय।।2।। नानक के नाम पर निरंजनु गाया जाता है। कृपा करें प्रभु बिरले कहु जाना।3.3.21.
धनासरी महला 5.
अरे भइया! खोज करते समय, जब मैं गुरु महा पुरख से मिला, तो पूरे गुरु ने (मुझे) यह समझ दी कि कोई भी अन्य युक्ति (माया के भ्रम से बचने के लिए) काम नहीं करेगी। भगवान का नाम तभी उपयोगी है जब उसका ध्यान किया जाए।1. इसके लिए हे भाई! मैंने भगवान की शरण ली. (जब मैंने) सर्वव्यापी भगवान की शरण ली, तो मेरी (माया की) सारी उलझनें नष्ट हो गईं। अरे भइया! देव लोग, मातृ लोक, पाताल- सारी सृष्टि माया में फँसी हुई है। अरे भइया! सदैव भगवान के नाम का ध्यान करो, यही आत्मा को (माया के भ्रम से) छुड़ाने वाला है, यही समस्त कुलों का उद्धार करने वाला है।2. हे नानक! मनुष्य को माया से मुक्त होकर भगवान का नाम गाना चाहिए, (नाम के आशीर्वाद से) सभी खजाने प्राप्त हो जाते हैं, लेकिन (यह रहस्य) कोई विरला ही समझ पाया है जिस पर स्वयं भगवान (नाम के आशीर्वाद) की कृपा हुई हो ).दाति) देता है.3.3.21.