आस्था | अमृत वेले हुक्मनामा श्री दरबार साहिब, अमृतसर, अंग 821

अमृत वेले हुक्मनामा श्री दरबार साहिब, अमृतसर, अंग 821, दिनांक 21-03-2024
बिलावलु महला 5. अपने लोगों की रक्षा करें कृपा करें हरि हरि नामु दीनो, मिटे सब दुःख संताप।।1।। रहना गुण गोविंद गावहु सभी हरि जन रग रत्न रसना आलाप। 1. चरन गहे सरनि सुखदते गुर कै बचनि जपे हरि जाप सागर तेरे भरम भाई बिनसे कहु नानक ठाकुर परताप।2.5.85।
बिलावलु महल 5 अपना ख्याल रखें करि किरपा हरि हरि नामु दीनो बिनसी गए सभ सोग संतप॥1॥ रहना गुण गोविंद गावहु सभी हरि जन राग रतन रसना आलाप॥ कोटि जनम की त्रिस्ना निवारी राम रसैनी आतम द्राप ॥1॥ चरण गहे सरनि सुखदते गुर कै बचनि जपे हरि जाप। सागर तेरे भरम भाई बिनसे कहु नानक ठाकुर परताप ॥2॥5॥85॥
राखी झूठ = (हमेशा) सुरक्षित। जन = नौकर कारी=करने से डिनो = दिया गया। दुःख = चिन्ता, शोक। सन्तप=कष्ट।1. गुण गोविंदा = गोविंदा के गुण। सबी = सब (एक साथ)। हरि जन = हे संतों! रत्न राग = सुन्दर रागों के माध्यम से। रसना=जीभ (के साथ)। आलाप=उच्चारण। कोटि = करोड़। निव्रि=चला जाता है। रश्मी = रसायन शास्त्र के साथ। रसमन = रस का निवास, सर्वोच्च रस। आत्मा = जीवन. द्रहपा = तृप्त हो जाता है।1. गाहे = पकड़ लिया गया कै बचानि = के वचन से सागर = (विश्व-) समुद्र। तारे = पार हो जाना। भाई = {‘डर’ शब्द का बहुवचन} सभी भय। ठाकुर परताप = गुरु-प्रभु की महिमा। 2.5.85।
अरे भइया! भगवान ने सदैव अपने सेवकों की रक्षा की है। दया करके (अपने सेवकों को) वह अपने नाम का उपहार देने आये हैं (जिन्हें वे नाम का उपहार देते हैं) सभी चिंताएँ और दुःख और परेशानियाँ नष्ट हो जाती हैं। 1. रहना हे संतों! सब (एक साथ) प्रभु का गुणगान करें, सुंदर धुनों के माध्यम से जिह्वा से उसका गुणगान करते रहें। (जो लोग भगवान के गुणों का जप करते हैं, उनकी) करोड़ों जन्मों की प्यास (माया) दूर हो जाती है, उनका मन नाम-रस के आशीर्वाद से तृप्त हो जाता है, जो अन्य सभी रसों से श्रेष्ठ है। 1. अरे भइया! जो लोग सुखदाता भगवान के चरणों को पकड़ते हैं, भगवान की शरण में रहते हैं, गुरु की शिक्षा के माध्यम से भगवान का नाम जपते हैं, वे संसार-सागर से पार हो जाते हैं, उनके सभी भय भ्रम हैं .नष्ट हो जाते हैं हे नानक! कहो- यह सब महिमा भगवान की है।2.5.85।
भावार्थ:-हे भाई! परमेश्वर ने सदैव तेरे सेवकों की रक्षा की है। कृपा कर के (अपने सेवकों को) अपने नाम की दाती दिता आई है (जिनको नाम की दाति दीता है उनको) सभी चिंताएं और दुख और दुख नष्ट हो जाते हैं। 1. रहना। हे संतों! सभी (चक्की) के साथ भगवान के गुण गाओ, सुंदर धुनों के साथ उनके गुणों का गान करो। (जो भगवान के गुणों का पाठ करते हैं, उनकी करोड़ों जन्मों की माया की तृष्णा दूर हो जाती है, उनका मन सभी रसों से श्रेष्ठ नाम-रस के आशीर्वाद से तृप्त हो जाता है।) 1. अरे भइया! जो लोग सुख देने वाले भगवान के चरण पकड़ते हैं, सुख देने वाले भगवान की शरण लेते हैं, गुरु की शिक्षा से भगवान का नाम जपते हैं, वे संसार-सागर से पार हो जाते हैं, उनकी सभी चिंताएँ और भ्रम नष्ट हो जाते हैं। हे नानक! कहो – सारी स्तुति प्रभु के लिए है।2.5.85।