आप सरकार से कंप्यूटर अध्यापकों को काफ़ी उम्मीद-सुखदेव चौधरी
मामले को फिर से मुख्यमंत्री के ध्यान में लाया जाएगा।

जीरकपुर – जब किसी को अपनी मेहनत का पूरा मूल्य नहीं मिलता है तो धीरे-धीरे काम शौक नहीं बल्कि मजबूरी बन जाता है। कुछ ऐसा ही पंजाब में कार्यरत सरकारी स्कूलों के कंप्यूटर शिक्षकों के साथ हो रहा है यह कहना है जॉइन्ट एक्शन कमेटी के प्रधान सुखदेव चौधरी का। उन्होंने कहा कि 16 साल से सेवा दे रहे और सरकारी स्कूलों की रीढ़ की हड्डी कहे जाने वाले ये कंप्यूटर शिक्षक अभी भी इस विभाग का हिस्सा नहीं हैं।
सरकार द्वारा समय-समय पर दिए जाने वाले विभिन्न कर्तव्यों का निर्वहन करने वाले ये शिक्षक अब मायूस होते नजर आ रहे हैं। चौधरी ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि कंप्यूटर शिक्षक छात्रों को पढ़ाने के अलावा सरकार द्वारा संचालित विभिन्न पोर्टल और ऑनलाइन शिक्षा में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
वे छात्रों को पढ़ाने के साथ ही विभाग के अन्य विषयों के शिक्षकों को समय-समय पर ऑनलाइन कार्यों की जानकारी देते रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान कंप्यूटर शिक्षकों के काम को चंद शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। वर्ष 2005 में अब तक हुई उनकी भर्ती पर नजर डाली जाए तो पता चलता है कि वर्ष 2004-2005 के दौरान सरकारी स्कूलों में छठी से बारहवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को कंप्यूटर शिक्षा देने के लिए उच्च योग्य कंप्यूटर शिक्षकों की भर्ती की गई थी, जिनका प्रारंभिक वेतन था। चौधरी ने कहा कि 4500 रु. बाद में वर्ष 2007 में पंजाब सरकार ने कंप्यूटर शिक्षकों का वेतन 7000/- कर दिया और वर्ष 2009 में पंजाब सरकार ने इन कंप्यूटर शिक्षकों का वेतन 10000/- कर दिया।इन शिक्षकों की सेवाओं और प्रयासों के कारण 02 -12-2010 को पंजाब सरकार ने पंजाब के राज्यपाल की संतोषजनक स्वीकृति के बाद, शिक्षा विभाग की शिक्षा शाखा-7 ने कंप्यूटर शिक्षकों की सेवाओं और कंप्यूटर की सेवाओं के नियमितीकरण के संबंध में पंजाब सरकार द्वारा एक अधिसूचना जारी की दिनांक 01-07-2011 से शिक्षा विभाग के अंतर्गत पिक्ट्स सोसायटी में शिक्षकों की स्थिति के अनुसार समय-समय पर नियमित किया गया लेकिन इसके बावजूद कम्प्यूटर शिक्षकों को विभिन्न सुविधाओं से वंचित रखा गया, जैसे उन्हें कोई चिकित्सा प्रतिपूर्ति/स्वास्थ्य सुविधा नहीं दी गयी।
चौधरी ने कहा कि मौजूदा 6800 कंप्यूटर शिक्षकों में से 2710 कंप्यूटर शिक्षकों को कोई पेंशन योजना नहीं दी जा रही है। 16 वर्ष की कुल सेवा लगभग 6 वर्ष की संविदा सेवा एवं 10 वर्ष की नियमित सेवा के बावजूद भी एसीपी (4 वर्ष, 9 वर्ष) नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि सरकार ने 01-01-2017 से सभी मंडलों, सोसायटियों, निगमों आदि के सभी कर्मचारियों को 5% अंतरिम राहत (IR) दी है लेकिन कंप्यूटर शिक्षकों को इससे वंचित रखा गया है। चौधरी ने कहा कि इसके अलावा अब तक लगभग 70 कंप्यूटर शिक्षकों की मौत हो चुकी है लेकिन उनके परिवार के सदस्यों को न तो अनुकंपा नौकरी मिली है और न ही कोई अन्य आर्थिक लाभ। उन्होंने कहा कि समय-समय पर सरकारें बदलती रहीं, लेकिन इन शिक्षकों की मांगों पर कोई ध्यान न देते हुए हर बार वित्त विभाग से बात करती रहीं. नियमित नियुक्ति के दस साल बाद भी ये शिक्षक अपनी मांगों को लेकर अभी भी वहीं डटे हुए हैं। चौधरी ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि मौजूदा आप सरकार इन शिक्षकों को सभी लाभ देगी और जल्द ही इन्हें पंजाब स्कूल शिक्षा विभाग का हिस्सा बनाया जाएगा, ताकि सरकारी स्कूलों के ये कंप्यूटर शिक्षक अपनी सेवाएं और बेहतर तरीके से दे सकें।